रीवा रेंज में ‘सूची’ का इंतज़ार,आईजी की कार्रवाई पर सस्पेंस, प्रभारियों में बेचैनी बढ़ी

रीवा। रेंज में भ्रष्ट प्रभारियों की संभावित सूची को लेकर पुलिस मुख्यालय से लेकर जिले की चौकियों तक कानाफूसी का मौसम घना हो गया है। साल खत्म होने को है, पर आईजी रीवा की ओर से जारी होने वाली वह सूची अब तक परछाईं की तरह टंगी हुई है न दिखती है, न ग़ायब होती है। अफसरों के बीच यह भी चर्चा है कि कहीं सूची सीधे भोपाल तो नहीं भेज दी गई, या फिर भीतरखाने कोई और खिचड़ी पक रही है।
सूत्र बताते हैं कि कुछ प्रभारियों ने इन दिनों असामान्य ‘सक्रियता’ दिखाई है—कभी बंगलों की ओर, कभी रसूखदार गलियारों की तरफ़। कई स्थानों पर यह भी देखा गया कि जिन पर उँगलियाँ उठती रही हैं, वे अचानक धर्मात्मा-सी चुप्पी ओढ़े घूम रहे हैं।
उधर यूपी पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने खेल बिगाड़ा:-उत्तर प्रदेश में चल रही सख़्त कार्यवाही ने नशीले सिरप की तस्करी नेटवर्क की आधी रीढ़ तोड़ दी है। सीमावर्ती इलाक़ों में छापों की गूँज इतनी तेज़ थी कि इसका असर सीधा रीवा रेंज तक महसूस हुआ।
अब जो ‘चेन’ बची है, वह सिर्फ़ खंडित टुकड़ों में—पर इतनी कि कुछ तस्कर अब भी मौके का फ़ायदा उठाकर ऊँचे दामों पर कोरेक्स बेच रहे हैं।
रेंज के अंदरूनी हलकों में चर्चा ये भी है कि कई अधिकारी इस हालात को देखने के बजाय बस राजाई ओढ़कर तस्करों से मीठी-मीठी फुसफुसाहटों में व्यस्त हैं। जिन इलाकों में पहले दबिश का नाम सुनते ही अंधेरे की फाँकें बंद हो जाती थीं, वहाँ अब चुप्पी और ऊँचे दरों की हल्की-हल्की चहक सुनाई दे रही है।
मंगावा के तस्कर से खुली बड़ी परतें,पुलिस कर्मियों की ‘गाँठ-जोड़’ उजागर:- मंगावा क्षेत्र में पकड़े गए तस्कर के खुलासों ने पूरे विभाग में हलचल पैदा कर दी थी।
पूछताछ में जो जानकारी सामने आई, उसने यह साफ़ किया कि खेल सिर्फ़ सरहदों तक सीमित नहीं था—कुछ वर्दियों के भीतर ही छिपे हुए तार भी जुड़े थे।
सूत्रों के अनुसार:-
– साइबर शाखा में पदस्थ एक बदनाम दरोगा कथित तौर पर संरचना (सेक्योरिटी/सूचना) उपलब्ध कराता था।
– कई थानों के कुछ पुलिस कर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध दायरे में आई।
– नेटवर्क इतना संगठित था कि छापे पड़ने से पहले ही खबर उड़ जाती थी।
इन खुलासों ने आईजी की संभावित सूची को और महत्वपूर्ण बना दिया है, क्योंकि अगर यह सूची सार्वजनिक होती है, तो कई नाम पहली बार खुले मंच पर उजागर हो सकते हैं—वही नाम जिन्हें अब तक सिर्फ़ फुसफुसाहटों में लिया जाता था।





