Rewa news:सरकार के नौकरों से नहीं संभल पा रही व्यवस्था, अवैध कमाई के लिए प्रायवेट दलालों को बनाया हिस्सेदार
खनिज, आरटीओ और थानों के नाम पर निजी व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा एंट्री वसूली का काम
हाईवा वाहनों से एक थाने का 2000 तो खनिज और आरटीओ के नाम से हो रही 3 हजार रुपए की अवैध वसूली
Dainik mediaauditor. जिले में लगातार बढ़ रहे अपराध और सरकारी महकमे की लापरवाही सहित सरकारी नौकरों की अफसरशाही चरम पर है जिसके कारण प्रत्येक विभागों के अधिकारी और कर्मचारी अपने अपने कार्यों के प्रति सजगता और जिम्मेदारी का निर्वाहन करने से बचने का प्रयास करते रहते हैं यही वजह है कि इन दिनों अवैध कमाई करने वाले अफसर भी सुस्ती के साथ अपने दफ्तर के एसी कमरों में बैठकर दूसरों के द्वारा लाई हुई मलाई चाटते हुए दिखाई देते हैं तथा सरकारी काम काज को भी विभागों के जिम्मेदार ठंडे बस्ते पर डालकर चैन की निद्रा में लीन रहते हैं। मध्य प्रदेश शासन का टैग लिए रीवा में घूम रहे कुछ अफसरों का भी लगातार यही रवैया सामने आ रहा है जिसके चलते उनका भी काम निजी व्यक्तियों के द्वारा किया जा रहा हालांकि यह कहना उचित नहीं होगा कि सरकारी अफसर अवैध कमाई की रोटी खाने के लिए अपने काम से मुंह मोड़ रहे हैं बल्कि इसमें तो सरकारी महकमे की तारीफ ही करनी चाहिए कि उन्होंने गलत काम के लिए अपना हाथ गंदा करने की बजाय अलग से निजी व्यक्तियों को पालने की कोशिश कर ली जिससे वह मात्र अपनी हिस्सेदारी ही लेते हैं।
दरअसल हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश शासन के अधीनस्थ आरटीओ, खनिज और पुलिस विभाग की जिसके अफसर वैसे तो अपना कोई भी काम ईमानदारी पूर्वक नहीं करते हैं मगर यह समस्त विभाग अपने लिए अवैध कमाई करने वाले एजेंटों का सही चयन कर लिया है जो इनके नाम से हाईवा वाहनों से एंट्री वसूली करते हैं और महीना पूरा होने के बाद पूरा का पूरा पैसा अपने हिस्से को काटकर विभागों में जमा करा देते हैं जिससे सरकार के इन नौकरों के हाथ में गंदगी भी नहीं लगती और उनकी अवैध कमाई भी हो जाती है
बताया जा रहा है कि रीवा शहर में प्रायवेट दलालों का एक ऐसा ही समूह लगातार विचरण कर रहा है जो आरटीओ विभाग, खनिज विभाग तथा पुलिस विभाग के प्रत्येक थानों का जिम्मा ले रखा है एंट्री वसूली का जिससे इन तमाम सरकारी नौकरों तक एंट्री की राशि पहुंचा दी जाती है और जिलेभर में अवैध वाहनों का संचालन होता है जो बिना टीपी के जिलेभर में ओवरलोड होकर घूमते रहते हैं तथा इन प्रायवेट दलालों को एंट्री वसूली की राशि देने के बाद कोई भी विभाग इन वाहनों को छूने का प्रयास तक नहीं करता है।
जानकारी के मुताबिक महेंद्र गुप्ता और लाला टैक्सी नाम के यह प्रायवेट दलाल हाईवा वाहनों के मालिकों से डायरेक्ट संबंध रखते हैं तथा सरकारी विभागों को भी समय समय पर उनका हिस्सा दे देते हैं जिसकी वजह से उनका रोजगार लगातार फल फूल रहा है और इन्हें कोई रोकने टोकने वाला भी नहीं है।