कागजो में संचालित रामबाई स्मृति महाविद्यालय डभौरा को बनाया गया परीक्षा केंद्र
परीक्षार्थियों के लिए नही है कोई सुविधा,लैट्रिन बाथरूम है निर्माणाधीन
उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा पारित निर्णय के कारण ईश्वरचंद्र विद्यासागर कॉलेज को परीक्षा केंद्र बनाए जाने का है प्रतिबंध, तलाशा गया नियम विरुद्ध डभौरा कॉलेज में परीक्षा केंद्र का विकल्प
सत्ता पक्ष के दबाव में एवं विश्वविद्यालय रीवा के मिलीभगत से नियम विरुद्ध तरीके बनाया गया परीक्षा केंद्र।
dainikmediaauditor Rewa जिले के जवा तहसील अंतर्गत विद्यासागर शिक्षा समिति खुटेही रीवा का है जिस समिति के नाम पर एक ईश्वरचंद्र विद्यासागर कालेज जवा है जो नियमिति संचालित है भवन है छात्र/छात्राओं के लिए सभी सुविधाएं है प्राचार्य है प्रोफेसर है अन्य कई स्टॉप सहित कम्प्यूटर विभाग है।
वो अलग बात है कि छात्र/छात्राएं कभी का भार पढ़ने जाते है सिर्फ परीक्षा देने जाते है लेकिन जो शासन का मापदंड है उसके मुताबिक सही है।
वही दूसरी कालेज विद्यासागर शिक्षा समिति खुटेही के नाम रामबाई स्मृति महाविद्यालय डभौरा में है।
जहा पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रामबाई स्मृति महाविद्यालय में कभी छात्र/छात्राएं पढ़ने नही जाते है सिर्फ महाविद्यालय बना हुआ है जो कागजो में संचालित है लेकिन जैसे ही सत्ता पक्ष के दबाव एवं विश्वविद्यालय रीवा के मेहरवानी से नियम विरूद्ध परीक्षा केंद्र बनाया गया वैसे ही सामने पुताई की गई और महाविद्यालय के अंदर लैट्रिन बाथरूम का निर्माण कार्य शुरू हो गया। लेकिन अभी तक कमरों में लाइट पंखा की व्यवस्था नही हो पाई। महाविद्यालय के बाहर और अंदर झाड़ियों का अंबार लगा हुआ है बाकी अंदर की स्थिति परीक्षा केंद्र के संचालन लायक कतई नही है फिर भी परीक्षा केंद्र बनाया गया।
सूत्र बताते है कि अभी जुलाई माह से कुछ परीक्षाएं हो चुकी है जिसमे परीक्षा के दौरान जमकर नकल हुई और नकल कराने के बास्ते परीक्षार्थियों से मोटी रकम भी ली गयी। और अब 21 अगस्त से बीए 1st ईयर और 2nd ईयर की परीक्षाएं होने वाली है जिनमे पुनः नकल होने का अंदेशा है क्योंकि छात्र/छात्राएं कभी पढ़ने तो जाते नही तो बिना पढ़े परीक्षा कैसे दे सकते है। यदि नियम विरूद्ध बनाये गए महाविद्यालय की नकल को रोकना है तो 3 घंटे कड़ाई से जांच टीम एवं हर कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगवा दिया जाय तो हकीकत सामने आ सकती है।
सूत्रों के मुताबिक उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा जवा कालेज को परीक्षा केंद्र बनाए जाने हेतु प्रतिबंध है तो उसी समिति के कॉलेज को परीक्षा केंद्र बनाना न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध है।
एक बार पूर्व में इसी तरह से कुछ दिन के लिए परीक्षा केंद्र बनाया गया था जिसमें निरीक्षण के दौरान निरीक्षण दल पर हमला भी किया गया था। तब विवादित एवं न्यायालय के निर्णय के आधार पर परीक्षा केंद्र को निरस्त कर दिया गया था।
लेकिन अब प्रशासनिक अधिकारियों के मिलीभगत एवं सत्ता पक्ष के दबाव में कागजो में संचालित रामबाई स्मृति महाविद्यालय में एक ही समिति की संस्था ईश्वरचंद्र विद्यासागर कालेज जवा का परीक्षा केंद्र बनाया गया है। जबकि नियमानुसार एक ही समिति के दो महाविद्यालयो का उसी संस्था में परीक्षा केंद्र नही बनाया जा सकता है।
लेकिन रामबाई स्मृति महाविद्यालय डभौरा को परीक्षा केंद्र बनाया गया है।
सवाल यही की किस नियम के तहत परीक्षा केंद्र बनाया गया है जो चर्चा का विषय है ये तो विश्वविद्यालय रीवा ही बता सकता है।
परीक्षा केंद्र बनाने को लेकर पूरे तराई क्षेत्र में खुलेआम नकल कराने के नाम पर विश्वविद्यालय प्रशासन एवं जिम्मेदार नेताओं को खुश करने के लिए परीक्षार्थियों से मोटी रकम की वसूली चर्चा का बिषय बना हुआ है।
लेकिन विश्वविद्यालय रीवा के द्वारा कोई जांच एवं कार्यवाही नही की जा रही है। यदि जांच करने गए भी तो बाहर ही चाय नास्ते के बाद पुनः लौट आते है क्योंकि इसमें विभाग की मिलीभगत है।
बताया जाता है कि उक्त दोनो महाविद्यालय वर्तमान भाजपा नेता व कभी कांग्रेस में रहकर अपनी पहचान बनाने वाले सहकारिता समिति के अध्यक्ष रमाशंकर मिश्रा की है जो अपने सत्ता पक्ष के दबाव में विश्वविद्यालय रीवा के मिलीभगत से परीक्षा केंद्र बनवाये है।
जिसके परीक्षा केंद्र बनाए जाने पर शिकायत भी की गई लेकिन इस बार परीक्षा केंद्र को निरस्त नही किया गया।
सवाल यही की आखिर भाजपा नेता के ऊपर प्रशासन इतना मेहरवान क्यो?
ईश्वरचंद्र विद्यासागर महाविद्यालय जवा नकल कराकर छात्रों के जिंदगी के साथ खिलबाड़ कर रहे है।
क्या ये दोनो महाविद्यालय मोटी रकम लेकर बिना पढ़े लिखे छात्र/छात्राओं को प्रमाण पत्र देने के लिए है जो कल शिक्षक बनकर बच्चो का भविष्य चौपट करेगे।
जिसकी सही जांच की जाए तो कालेज की हकीकत सामने आ सकती है।
जबकि हाईकोर्ट जबलपुर से निर्णय पारित है तो इसी समिति के कॉलेज को परीक्षा केंद्र बनाए जाने हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन इतना मेहरबान क्यों है जो जांच का विषय है।