Prayagraj Maha Kumbh 2025: रबरी बाबा महा कुंभ में प्रसिद्ध, सैकड़ों श्रद्धालुओं को मुफ्त में वितरित करते हैं श्रद्धा और मिठास

Prayagraj Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में इस बार कई संतों और महात्माओं के बीच उनकी विशिष्ट साधना, कपड़े और कार्यों के कारण चर्चा हो रही है। इन संतों में से एक संत श्री महंत देव गिरि जी महाराज हैं, जो महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासी हैं। महाकुंभ में उन्हें रबड़ी वाले बाबा के नाम से जाना जाता है।
सुबह से लेकर रात तक रबड़ी बनाने का काम
श्री महंत देव गिरि जी महाराज, जो गुजरात से आए हैं, अपने आश्रम के बाहर बड़े बर्तन में उबालते हुए दूध रखते हैं। बाबा स्वयं अपने हाथों से रबड़ी तैयार करते हैं और फिर श्रद्धालुओं को सम्मानपूर्वक बैठाकर उन्हें रबड़ी प्रसाद देते हैं। महंत देव गिरि जी की रबड़ी महाकुंभ में चर्चा का विषय बनी हुई है।
रबड़ी प्रसाद का आकर्षण
महंत देव गिरि जी महाराज ने महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़े के द्वार के बाहर अपना छोटा सा आश्रम बनाया है। बाबा की इस झोपड़ी के बाहर एक चूल्हा जलता रहता है, और उसमें एक बड़ा बर्तन दूध से भरा रहता है। बाबा स्वयं इस दूध को हिलाते हैं, जब तक वह रबड़ी में न बदल जाए। रबड़ी तैयार होने के बाद, बाबा उसे कागज के कप में डालकर श्रद्धालुओं को देते हैं।
महंत देव गिरि जी की रबड़ी बहुत स्वादिष्ट होती है, और यही वजह है कि लोग कई बार दिन में उनके पास जाकर रबड़ी प्रसाद लेते हैं। उनका रबड़ी प्रसाद महाकुंभ में एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है।
मुफ्त में रबड़ी का वितरण
महंत देव गिरि जी महाराज का रबड़ी प्रसाद सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है, जिससे महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु उनके पास जाकर रबड़ी लेने का पता पूछते हैं। बाबा रबड़ी के बदले किसी से कुछ भी नहीं लेते। अगर कोई श्रद्धालु श्रद्धा से कुछ देने की पेशकश करता है, तो वह उसे अस्वीकार भी नहीं करते। हर दिन वह लगभग पांच सौ लीटर दूध खरीदते हैं।
महाकुंभ में रबड़ी की महिमा
महंत देव गिरि जी महाराज का कहना है कि उनके पास गुजरात में पंद्रह बीघा ज़मीन है, और वह पूरे साल उस ज़मीन पर खेती करते हैं। इस खेती से जो आय होती है, उससे वह महाकुंभ में रबड़ी का भंडारा आयोजित करते हैं। बाबा का मानना है कि रबड़ी मीठी होती है, और वह इस रबड़ी के माध्यम से लोगों के जीवन में मिठास भरना चाहते हैं।
उनका रबड़ी प्रसाद श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष अनुभव बन चुका है, और जो लोग इसे खाते हैं, वे उसकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाते। महंत देव गिरि जी महाराज की रबड़ी की विशिष्टता महाकुंभ में चारों ओर चर्चा का विषय बन चुकी है।
रबड़ी बाबा का अद्वितीय कार्य
महंत देव गिरि जी महाराज की रबड़ी को महाकुंभ में मिलने वाला विशेष प्रसाद माना जाता है। उनका यह कार्य श्रद्धा और सेवा का प्रतीक है, और वह महाकुंभ के इस आयोजन में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। उनके आश्रम में आकर रबड़ी खाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और बाबा के साथ इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बनते हैं।
महंत देव गिरि जी महाराज का यह कार्य न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाता है कि साधना और सेवा के माध्यम से कैसे समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
महाकुंभ में रबड़ी बाबा का प्रसाद अब केवल एक मिठाई नहीं, बल्कि श्रद्धा और भक्ति का रूप बन चुका है। महंत देव गिरि जी महाराज का यह कार्य न केवल महाकुंभ की धरोहर को समृद्ध करता है, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरणा भी है। उनका यह साधनापूर्ण कार्य और उनके द्वारा बांटी जा रही रबड़ी लाखों लोगों के दिलों में मिठास और श्रद्धा का संदेश छोड़ रही है।