छत्तीसगढ

जशपुर में बिरसा मुंडा जयंती पर पदयात्रा, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री 7 किलोमीटर तक चलेंगे

छत्तीसगढ़ के जशपुर में बिरसा मुंडा जयंती के मौके पर एक खास पदयात्रा का आयोजन किया जाएगा। इस पदयात्रा की अगुवाई केंद्रीय युवा, खेल और श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय करेंगे। इस कार्यक्रम में राज्य के अन्य मंत्री भी शामिल होंगे। यह पदयात्रा जनजातीय गौरव दिवस के रूप में आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदाय के राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान को सम्मानित करना है।

10,000 से अधिक स्वयंसेवक होंगे शामिल

इस पदयात्रा में 10,000 से अधिक ‘माय भारत’ युवा स्वयंसेवक भाग लेंगे। इन स्वयंसेवकों का कार्य जनजातीय समाज की धरोहर की रक्षा करना, समावेशिता को बढ़ावा देना और सरकारी योजनाओं के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना होगा। यह पदयात्रा जशपुर के कोमडो गांव से शुरू होकर लगभग 7 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए रंजीत स्टेडियम पर समाप्त होगी। इस यात्रा में युवा, जनजातीय नेता और स्थानीय लोग एकजुट होंगे।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल से शुरू होगा कार्यक्रम

पदयात्रा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल से होगी, जिसमें वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके बाद जनजातीय नेताओं के योगदान को दर्शाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम और नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे। यात्रा के दौरान भारत के जनजातीय आंदोलनों, जनजातीय नायकों को श्रद्धांजलि और भारतीय जनजातीय समाज की कला और शिल्प को प्रदर्शित किया जाएगा।

जशपुर में बिरसा मुंडा जयंती पर पदयात्रा, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री 7 किलोमीटर तक चलेंगे

जनजातीय समाज की धरोहर और संस्कृति को बढ़ावा देना

इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनजातीय समाज की धरोहर और सांस्कृतिक विरासत को समझना और बढ़ावा देना है। साथ ही, अधिक से अधिक जनजातीय समुदाय के लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल करना भी इसका लक्ष्य है। इस अवसर पर, देशभर के युवाओं को ‘माय भारत पोर्टल’ के माध्यम से इस पदयात्रा में शामिल होने का आमंत्रण दिया गया है, ताकि वे भारत के समृद्ध जनजातीय धरोहर से जुड़ सकें।

बीरा मुंडा का योगदान युवाओं को समझना जरूरी

बीरा मुंडा जनजातीय समाज के लिए एक देवता के समान हैं और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। ब्रिटिश शासन के दौरान हुए धर्म परिवर्तन के खिलाफ खुलकर विरोध किया था, जिसके कारण जनजातीय समुदाय के लोग उन्हें देवता के रूप में पूजते हैं।

आज के युवाओं को बिरसा मुंडा के योगदान और उनके द्वारा किए गए अद्वितीय कार्यों के बारे में जानना और समझना जरूरी है। इसी कारण छत्तीसगढ़ में जनजातीय उत्सव की शुरुआत की जा रही है। यह कार्यक्रम जशपुर से शुरू होकर 14 और 15 नवंबर को रायपुर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के रूप में आयोजित किया जाएगा।

संविधान के 75 वर्षों का उत्सव और पदयात्रा का महत्व

संविधान के 75 वर्षों की पूर्णता पर मंत्रालय द्वारा ‘माय भारत’ के तहत भारतवर्ष में पदयात्राओं का आयोजन किया जाएगा। इस यात्रा का उद्देश्य भारत की समृद्ध और सांस्कृतिक विविधता को अपनाना और लोगों को इसके बारे में जागरूक करना है। इस एक साल के उत्सव के दौरान विभिन्न पदयात्राएं आयोजित की जाएंगी, ताकि भारतीय संस्कृति और जनजातीय समाज के योगदान को सही रूप से प्रदर्शित किया जा सके।

यह पदयात्रा न केवल जनजातीय समाज के इतिहास और योगदान को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, बल्कि यह युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का भी प्रयास है।

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