नोएडा में बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगी का शिकार बनाया

उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक 78 वर्षीय बुजुर्ग को साइबर अपराधियों ने 15 दिनों तक डिजिटल गिरफ्तारी में रखा और उनकी सारी जिंदगी की कमाई, जो करीब 3.14 करोड़ रुपये थी, ठग ली। इस मामले में ठगों ने बुजुर्ग को मानसिक दबाव में डालकर उन्हें पुलिस, सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी बनकर धोखा दिया।
कैसे शुरू हुआ धोखाधड़ी का सिलसिला
यह घटना 25 फरवरी 2025 की है, जब नोएडा के सेक्टर 75 में रहने वाले बुजुर्ग को एक कॉल आई। कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को TRAI अधिकारी बताते हुए बुजुर्ग से उनका पुराना मोबाइल नंबर पुष्टि करने को कहा, जिसे बुजुर्ग ने भूल रखा था। थोड़ी देर बाद, कॉल करने वाले ने बताया कि उनके खिलाफ कोलाबा पुलिस स्टेशन (मुंबई) में मनी लॉन्ड्रिंग और निवेश धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज की गई है।
इसके बाद, कोलाबा पुलिस स्टेशन के एक कथित अधिकारी विजय खन्ना और सीबीआई अधिकारी राहुल गुप्ता ने बुजुर्ग से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि बुजुर्ग को भारत के मुख्य न्यायाधीश के सामने ऑनलाइन पेश किया जाएगा और उनकी बैंक अकाउंट्स को फ्रीज किया जाएगा, क्योंकि यह मामला नरेश गोयल के मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा हुआ था।
डिजिटल गिरफ्तारी और धोखाधड़ी की मानसिक दबाव
बुजुर्ग ने जब ठगों से कहा कि वह 78 वर्ष के हैं और उनकी पत्नी 71 वर्ष की हैं, तो ठगों ने उन्हें और भी दबाव में डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण उन्हें किसी से बात नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही, उन्हें यह भी धमकी दी गई कि अगर उन्होंने किसी से बात की, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
इसके बाद, ठगों ने बुजुर्ग से उनकी पूरी जीवन भर की जमा पूंजी 3.14 करोड़ रुपये “सुपीरियर सुपरविजन अकाउंट (SSA)” में ट्रांसफर करवाने का आग्रह किया, यह सोचकर कि यह केवल मौद्रिक सत्यापन है और उनका पैसा जल्द ही वापस कर दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का फर्जी आदेश और धोखाधड़ी का खुलासा
इस धोखाधड़ी के दौरान, ठगों ने बुजुर्ग को 3 मार्च 2025 को एक फर्जी सुप्रीम कोर्ट का आदेश भेजा, जिसमें कहा गया था कि उनके पैसे वैध हैं और 6-7 दिनों में उन्हें वापस कर दिए जाएंगे। लेकिन जब पैसे वापस नहीं मिले, तो बुजुर्ग को एहसास हुआ कि वह साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं।
यह पूरी घटना 26 फरवरी 2025 से 12 मार्च 2025 तक हुई, इस दौरान बुजुर्ग और उनकी पत्नी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 15 दिनों तक डिजिटल गिरफ्तारी में रखा गया।
साइबर क्राइम पोर्टल पर मामला दर्ज
बुजुर्ग और उनकी पत्नी ने अंततः नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल (NCRP) पर शिकायत दर्ज की, जिसके बाद सेक्टर 36 साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में इस मामले की जांच शुरू की गई। पुलिस अब इस धोखाधड़ी को लेकर कार्रवाई कर रही है और ठगों की तलाश कर रही है।
यह घटना साइबर अपराधियों की चतुराई और उनके द्वारा बुजुर्गों को मानसिक दबाव में डालने के तरीके को दर्शाती है। इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों से हमें यह सीखने की आवश्यकता है कि हमें किसी भी फोन कॉल या ऑनलाइन संचार में संकोच करने की आवश्यकता है, खासकर जब हमसे व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी मांगी जाती है। इसके साथ ही, इस प्रकार की धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूकता फैलाना भी बेहद जरूरी है।