मध्य प्रदेश मदरसों में राष्ट्रीय गान और आधुनिक शिक्षा अब अनिवार्य, जानिए नए मसौदे के नियम
मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर मदरसों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। राज्य की भाजपा सरकार ने मदरसों में लागू होने वाले नए नियमों का मसौदा तैयार किया है, जिसे जल्द ही लागू किया जाएगा। इन नए नियमों के तहत मदरसों में अब आधुनिक शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा, राष्ट्रीय गान और क़ौमी तराना (राष्ट्रीय गीत) भी मदरसों में अनिवार्य किए जाएंगे।
मदरसों के लिए अब तक के नियमों का अभाव
मदरसों के लिए नियमों की कमी लंबे समय से महसूस की जा रही थी। 1998 में मदरसा बोर्ड एक्ट पारित होने के बाद भी इस कानून के तहत नियमों का निर्माण नहीं किया गया था। इसके परिणामस्वरूप कई मदरसों में मनमानी शिक्षा दी जा रही थी। अब, 25 साल बाद मोहन यादव सरकार ने मदरसों की मान्यता से संबंधित एक मसौदा तैयार किया है, जिसे जल्द ही लागू किया जाएगा।
नए मसौदे में क्या हैं नियम?
नए मसौदे के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:
- राष्ट्रीय गान और क़ौमी तराना अनिवार्य: नए नियमों के अनुसार, हर मदरसे में सुबह के समय राष्ट्रीय गान और दिन के अंत में क़ौमी तराना गाना अनिवार्य होगा।
- धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा भी अनिवार्य: अब मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जाएगी। इसे राज्य सरकार के द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रम के अनुसार कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाया जाएगा।
- ‘आधुनिक मदरसा’ शब्द होगा शामिल: मदरसों के नाम में ‘आधुनिक मदरसा’ लिखा जाएगा, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि ये मदरसे आधुनिक शिक्षा भी प्रदान कर रहे हैं।
- मदरसे का नाम में ‘स्कूल’ शब्द नहीं होगा: मदरसों के नाम में ‘स्कूल’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। केवल मदरसा शब्द का प्रयोग होगा।
- 500 मीटर के दायरे में नए मदरसे नहीं बनाए जा सकेंगे: मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में एक मदरसे से 500 मीटर के दायरे में नया मदरसा नहीं खोला जा सकेगा।
- गैर-मुस्लिम बच्चों को भी मिलेगा दाखिला: गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों में दाखिला लेने से रोका नहीं जाएगा, लेकिन उनके माता-पिता से एक हलफनामे में अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
- मदरसों को अंकेक्षण रिपोर्ट जमा करनी होगी: हर मदरसे को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी अंकेक्षण रिपोर्ट (ऑडिट रिपोर्ट) प्रस्तुत करनी होगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
- भा.ज.पा. के विधायक रमेश्वर शर्मा: इस मुद्दे पर भाजपा विधायक रमेश्वर शर्मा ने कहा कि यह बड़ा सवाल है कि अब तक मदरसों में राष्ट्रीय गान क्यों अनिवार्य नहीं किया गया था। उन्होंने इस मुद्दे के लिए कांग्रेस की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। शर्मा ने आगे कहा, “देश को वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की जरूरत है, न कि मुल्लाओं और मौलवियों की।”
- कांग्रेस विधायक आतिफ अकील: कांग्रेस विधायक आतिफ अकील ने नए मसौदे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सरकार सिर्फ ध्यान भटकाना चाहती है, असल मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। अगर सरकार को मदरसों की चिंता होती, तो वह बजट में इसका ध्यान रखती। भाजपा नेताओं को अब अपनी राजनीति में सुधार करना चाहिए।”
- पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक उषा ठाकुर: पूर्व मंत्री उषा ठाकुर ने नए नियमों का समर्थन करते हुए कहा कि यदि सरकार नियम बना रही है, तो यह अच्छा कदम है। उनका कहना था कि मदरसों को भी राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए, और राष्ट्रीय गान और आधुनिक शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण हैं।
नए नियमों के लागू होने से मदरसों में बदलाव की संभावना
मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम मदरसों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा सकता है। इस कदम से न केवल मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक और राष्ट्रीय धारा से भी जुड़ने में मदद करेगा।
इसके अलावा, मदरसों के शिक्षकों और छात्रों के लिए यह नियम एक नया मार्गदर्शन प्रस्तुत करेगा, जिससे वे अपने कर्तव्यों और अधिकारों को समझ सकेंगे। यदि यह नियम सही तरीके से लागू होते हैं, तो मध्य प्रदेश के मदरसे भी आधुनिक और समग्र शिक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगे।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मदरसों के लिए बनाए गए नए नियमों का मसौदा एक बड़ा कदम है। यह नियम न केवल मदरसों में आधुनिक शिक्षा और राष्ट्रीय धारा से जुड़ाव को सुनिश्चित करेंगे, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एकता और सामूहिक विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल होगी। हालांकि, इस पर राजनीतिक विवाद जारी रहेगा, लेकिन यह कदम राज्य में शिक्षा और समाज के विकास के लिए अहम साबित हो सकता है।