नर्मदापुरम मिशनरी संस्थान पर आरोप, यौन शोषण के जरिए धर्मांतरण की साजिश
मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले के इतारसी में स्थित एक मिशनरी संस्थान पर धर्मांतरण की साजिश के तहत यौन शोषण और ग्रूमिंग (गुमराह करने) के आरोप लगे हैं। पूर्व राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कणुंगो ने आरोप लगाया है कि इस संस्थान ने एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की, क्योंकि उनका मुख्य उद्देश्य धर्मांतरण था। यह मामला राज्य में चर्चा का विषय बन गया है और विभिन्न संस्थाओं और अधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
प्रियंक कणुंगो का बयान और आरोप
प्रियंक कणुंगो ने शुक्रवार को मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से इस मामले को उजागर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यौन शोषण और ग्रूमिंग के जरिए धर्मांतरण की साजिश की जा रही है। कणुंगो ने कहा कि एक ईसाई लड़के ने एक हिंदू लड़की को अगवा किया जो कि नर्मदापुरम के एक अनाथ आश्रम में रह रही थी, जो ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाया जा रहा था। उनका आरोप है कि मिशनरी संस्थान ने धर्मांतरण के उद्देश्य से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
प्रियंक कणुंगो ने इस बारे में विस्तार से बताया कि जब लड़की दो दिन बाद मिली, तो संस्थान ने उसका पंजीकरण किया और उसे बलात्कारी लड़के की बहन को सौंप दिया। चार दिन बाद, उसी लड़के ने लड़की को अपने घर ले गया। कणुंगो के मुताबिक, लड़की को एक हफ्ते तक बंधक बना कर यौन शोषण किया गया।
नर्मदापुरम मिशनरी संस्थान का पक्ष
इस बीच, मिशनरी संस्थान ने इस पूरे मामले में अपनी सफाई दी है और आरोपों को बेबुनियाद बताया है। संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि उन पर झूठे धर्मांतरण के आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है और सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) के निर्देशों के अनुसार ही काम किया। संस्थान का कहना है कि इस मामले में कोई चूक नहीं हुई है, और सीडब्ल्यूसी के सदस्य जिम्मेदार हैं।
संस्थान का कहना है कि धर्मांतरण की कोई साजिश नहीं थी, और उन पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत हैं। उनका यह भी कहना था कि स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में चुप्पी साधी और अधिकारियों ने संस्थान को बचाने की कोशिश की।
स्थानीय प्रशासन और अधिकारियों पर सवाल
प्रियंक कणुंगो ने इस मामले में प्रशासनिक लापरवाही का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नर्मदापुरम के जिला प्रशासन और कलेक्टर-SP ने इस मामले में गंभीर लापरवाही दिखाई और सच्चाई को छुपाने की कोशिश की। कणुंगो के अनुसार, यह मामला मानव तस्करी से जुड़ा हुआ है, और अधिकारियों ने जानबूझकर इस मामले को दबाया है।
प्रियंक कणुंगो का यह भी कहना था कि प्रशासन की अनदेखी के कारण लड़की को लगातार यौन शोषण का शिकार होना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने राजनीतिक दबाव के तहत इस संस्थान को बचाने की कोशिश की, जिससे पूरे मामले में निष्पक्षता का अभाव रहा।
फरवरी में दर्ज हुआ बलात्कार का मामला
इस मामले में अब तक कई पहलू सामने आ चुके हैं। इस घटना के बारे में पुलिस ने बताया कि लड़की ने बलात्कार के आरोपी के खिलाफ पहले ही एक एफआईआर दर्ज कराई थी। यह केस संस्थान के सुपरवाइजर के खिलाफ भी दर्ज किया गया है। अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि यह घटना पहले भी सुर्खियों में आ चुकी है, जब लड़की ने आरोप लगाया था कि उसे यौन शोषण का शिकार बनाया गया। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। अब इस मामले में नई जानकारी के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
मानव तस्करी का मामला
प्रियंक कणुंगो ने इस मामले को मानव तस्करी से भी जोड़कर देखा है। उनका कहना है कि इस प्रकार के मामलों में बच्चों का शोषण किया जाता है, और उन्हें गलत तरीके से दूसरे धर्मों में धर्मांतरण के लिए दबाव डाला जाता है। यह एक गंभीर अपराध है, और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
कणुंगो का यह भी कहना है कि इस पूरे मामले में सच्चाई का खुलासा होने तक, कोई भी दोषी बच नहीं सकता। उन्हें पूरा विश्वास है कि जांच के दौरान सभी तथ्य सामने आएंगे और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अगला कदम: क्या होगा?
इस मामले के बाद, राज्य सरकार और प्रशासन को इस मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो इसे मानवाधिकारों और बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा जाएगा। धर्मांतरण के लिए यौन शोषण और बच्चों के शोषण का यह मामला गंभीर चिंता का विषय बन चुका है।
साथ ही, प्रशासन और पुलिस को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी संस्था या व्यक्ति को मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का मौका न मिले।
नर्मदापुरम मिशनरी संस्थान पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं और यह पूरे मामले की सच्चाई का खुलासा होने तक चर्चा का विषय बने रहेंगे। अगर ये आरोप सही साबित होते हैं तो यह समाज के लिए एक चेतावनी हो सकती है कि धर्मांतरण के नाम पर बच्चों और युवाओं के शोषण की घटनाओं पर कड़ी नजर रखी जाए। यह घटना यह भी साबित करती है कि बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए सभी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।