Narinder Batra का बयान: ‘मैंने हमेशा ईमानदारी से काम किया

सोमवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय ओलंपिक संघ के पूर्व अध्यक्ष नरिंदर ध्रुव बत्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। अदालत ने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई जांच में कोई खामी नहीं थी, और जांच अधिकारी द्वारा की गई जांच से संतुष्टि व्यक्त की। इस क्लोजर रिपोर्ट ने अनिवार्य रूप से बत्रा को मामले में किसी भी तरह की गड़बड़ी से मुक्त कर दिया।
न्यायालय के निर्णय पर नरिंदर ध्रुव बत्रा की प्रतिक्रिया
कोर्ट के फैसले के बाद नरिंदर ध्रुव बत्रा ने अपना बयान साझा किया, जिसमें उन्होंने पूरी घटना को लेकर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। बत्रा ने साफ किया कि उन्हें उन लोगों से कोई शिकायत नहीं है, जिन्होंने उन्हें कमजोर करने की कोशिश की। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी कड़ी मेहनत, ईमानदारी और समर्पण को देते हुए कहा, “मुझे उन लोगों से कोई शिकायत नहीं है, जिन्होंने मुझे कमजोर करना चाहा, क्योंकि मेरा कोई राजनीतिक गॉडफादर नहीं था। हमारे सिस्टम में अक्सर कहा जाता है कि मजबूत समर्थन के बिना कोई बड़ा सपना नहीं देख सकता। हालांकि, मैंने हमेशा कड़ी मेहनत, ईमानदारी और समर्पण पर विश्वास किया है।”
बत्रा ने अपने विशिष्ट करियर और योगदान पर विचार व्यक्त किए
अपने बयान में बत्रा ने अपने करियर और अपने कार्यकाल के दौरान संभाले गए महत्वपूर्ण पदों के बारे में भी बताया। उन्होंने उन प्रमुख पदों की सूची दी जिनसे उन्होंने इस्तीफा दिया, जिनमें शामिल हैं:
-
सदस्य, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (2019–2022)
-
अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (2016-2022)
-
अध्यक्ष, भारतीय ओलंपिक संघ (2017-2022)
-
अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रमंडल खेल संघ (2017-2022)
बत्रा ने इस बात पर जोर दिया कि वे दुनिया के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने एक साथ इन चारों प्रतिष्ठित पदों को संभाला है। उन्होंने कहा कि यह एक सम्मान और जिम्मेदारी है जिसे उन्होंने पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ निभाया। उन्होंने कहा, “यह एक सम्मान और जिम्मेदारी है जिसे मैंने एक भारतीय के तौर पर पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ निभाया।”
भारतीय खेलों में बत्रा का योगदान
पूर्व आईओए अध्यक्ष ने इस अवसर पर भारतीय खेलों में अपने योगदान को भी उजागर किया। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद हॉकी में भारत की ऐतिहासिक कांस्य पदक जीत का जिक्र किया, साथ ही 32 खेलों में से 18 में देश की भागीदारी का भी जिक्र किया, जिसके परिणामस्वरूप रिकॉर्ड सात पदक मिले। उन्होंने इन उपलब्धियों का श्रेय व्यापक योजना, रणनीतिक क्रियान्वयन और इसमें शामिल सभी पक्षों के सहयोग को दिया।
बत्रा ने कहा, “मैंने भारतीय खेलों को आगे बढ़ाने के लिए 2009 से 2022 तक हर दिन 18 घंटे काम किया। इस दौरान हमने जो हासिल किया, उस पर मुझे बेहद गर्व है।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा
नरिंदर ध्रुव बत्रा ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रशंसा की। उन्होंने एथलीटों की भलाई को प्राथमिकता देने और भारत में खेलों के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा बनाने में प्रधानमंत्री के प्रयासों की सराहना की। बत्रा ने कहा, “मैं आभारी हूँ कि इस समय भारत के पास एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो खेलों को महत्व देता है, खिलाड़ियों की भलाई को प्राथमिकता देता है और खेलों के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा बनाने के लिए काम कर रहा है। मैं उनकी दूरदर्शिता और समर्पण को सलाम करता हूँ।”
बत्रा का अपने भाग्य को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करना
अपने वक्तव्य के अंत में बत्रा ने स्पष्ट किया कि उनके मन में किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है, यहां तक कि उनके विरोधियों के प्रति भी नहीं। “मैं किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं रखता। मेरा मानना है कि नियति अपना रास्ता तय करती है, और मैं अपनी नियति को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं। भगवान उन लोगों को आशीर्वाद दें जिन्होंने मेरा समर्थन किया है, और वह उन लोगों को भी आशीर्वाद दें जिन्होंने मेरा विरोध किया और मुझे हटाने का काम किया,” बत्रा ने निष्कर्ष निकाला।
नरिंदर ध्रुव बत्रा के भ्रष्टाचार मामले में क्लोजर रिपोर्ट की स्वीकृति भारतीय खेल प्रशासन में एक महत्वपूर्ण अध्याय के समाप्त होने का संकेत है। बत्रा, जो खेल प्रबंधन की दुनिया में एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं, भारत में खेल विकास के लिए अपनी ईमानदारी और प्रतिबद्धता को बनाए रखना जारी रखते हैं। उनके शब्दों में लचीलापन और विनम्रता की भावना झलकती है, और भारतीय खेलों में उनका योगदान, विशेष रूप से हॉकी और देश की ओलंपिक भागीदारी के मामले में, उनकी विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा।