मध्य प्रदेश

Madhya Pradesh: पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को लेकर हुआ भारी हंगामा, पुलिस को करना पड़ा लाठीचार्ज

Madhya Pradesh के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को लाने के विरोध में भारी हंगामा हुआ है। गुरुवार सुबह, भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 337 टन जहरीला कचरा पीथमपुर के एक औद्योगिक कचरा निपटान इकाई में लाया गया। इस कचरे को लेकर स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश है और उन्होंने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करना पड़ा। पीथमपुर में लगभग 1.75 लाख की जनसंख्या है और यहां के नागरिकों ने कचरे को पीथमपुर से कहीं और भेजने की मांग की है।

जहरीला कचरा सील कंटेनरों में लाया गया

बताया जा रहा है कि पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित कचरा निपटान इकाई में यह जहरीला कचरा सील कंटेनरों में लाकर रखा गया। कचरे को लाने के लिए एक ‘ग्रीन कॉरिडोर’ तैयार किया गया था और कड़ी सुरक्षा में 12 सील कंटेनर ट्रकों के जरिए यह कचरा पीथमपुर तक पहुंचा। यह स्थान भोपाल से लगभग 250 किलोमीटर दूर स्थित है। पीथमपुर पहुंचने के बाद स्थानीय नागरिकों ने इस कचरे को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और यहां तक कि बंद का आह्वान भी किया गया। प्रदर्शनकारियों की भीड़ बढ़ने के बाद स्थिति को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

Madhya Pradesh: पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को लेकर हुआ भारी हंगामा, पुलिस को करना पड़ा लाठीचार्ज

पीथमपुर में विरोध क्यों?

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पीथमपुर में जहरीले कचरे का निपटान करने से मानव जीवन और पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ेगा। पीथमपुर और इंदौर के बीच की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है और इंदौर के नागरिक भी इस जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि कचरे का सुरक्षित तरीके से निपटान किया जाएगा। सरकार ने यह भी कहा है कि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का खतरा नहीं होगा। लेकिन स्थानीय लोग इस आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं और उनका कहना है कि यह कचरा पीथमपुर से कहीं और भेजा जाए।

हाई कोर्ट ने दिया था अल्टीमेटम

यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे को लेकर यह मामला तब और गंभीर हो गया था जब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दिसंबर 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के बाद इस कचरे को हटाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने 3 दिसंबर 1984 को फैक्ट्री को आदेश दिया था कि वह 4 हफ्ते के भीतर जहरीले कचरे को हटा दे, और यह चेतावनी दी थी कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया, तो सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद से यूनियन कार्बाइड के कचरे को हटाने के प्रयास जारी थे, लेकिन अब तक इसे पूरी तरह से निपटाया नहीं जा सका था।

भोपाल गैस त्रासदी और उसका प्रभाव

भोपाल गैस त्रासदी एक ऐतिहासिक और दर्दनाक घटना थी, जिसमें 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसायनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था। इस गैस रिसाव के कारण लगभग 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह त्रासदी न केवल भोपाल, बल्कि पूरे देश और दुनिया में एक बड़ा हादसा माना गया। इसके बाद यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का मुद्दा गंभीर बना और उसे हटाने की आवश्यकता महसूस की गई।

राज्य सरकार का आश्वासन

राज्य सरकार ने इस कचरे के सुरक्षित निपटान का आश्वासन दिया है। अधिकारियों का कहना है कि पीथमपुर में जहरीले कचरे को जलाने और नष्ट करने के लिए पूरी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इसके लिए विशेष तकनीक का उपयोग किया जाएगा, ताकि इससे कोई नुकसान न हो। सरकार ने यह भी कहा है कि कचरे को लेकर किसी प्रकार का स्वास्थ्य या पर्यावरणीय खतरा नहीं होगा।

स्थानीय नागरिकों का डर और विरोध

हालांकि सरकार ने आश्वासन दिया है, लेकिन पीथमपुर और आसपास के क्षेत्रों के नागरिकों में इस जहरीले कचरे को लेकर गहरी चिंता और डर है। उनका कहना है कि यूनियन कार्बाइड के कचरे का निपटान करने से इलाके के पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह कचरा अगर पूरी तरह से नष्ट नहीं किया गया या इसका सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया गया, तो यह लोगों की सेहत और पर्यावरण के लिए खतरे का कारण बन सकता है। इसके अलावा, यह भी कहा जा रहा है कि यह कचरा पीथमपुर से हटाकर अन्य स्थानों पर भेजा जाना चाहिए, ताकि यहां के निवासियों को किसी भी तरह के जोखिम से बचाया जा सके।

पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान को लेकर हो रहे विरोध ने इस मुद्दे को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। सरकार का कहना है कि इस कचरे को सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जाएगा, लेकिन स्थानीय नागरिकों के लिए यह आश्वासन पर्याप्त नहीं है। इस कचरे के निपटान के बारे में सरकार को और अधिक पारदर्शिता के साथ काम करने की आवश्यकता है, ताकि नागरिकों के बीच विश्वास पैदा किया जा सके और इस मामले में सभी चिंताओं को हल किया जा सके।

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