Rewa toll plaza: वाहनों से मनमाना टैक्स वसूल रहा खड्डा टोल प्लाजा, शासन के नियमों की खुलेआम उड़ा रहा धज्जियां
टोल संचालन के 6 महीने में कर ली करीब 5 करोड़ के कर की चोरी
Dainikmediaauditor. Rewa city से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खड्डा टोल प्लाजा में ओवरलोड वाहनों से मनमाना टैक्स वसूली किए जाने का मामला सामने आया है जिसके बाद टोल मैनेजर ने मामले में बेतुकी बात कहते हुए कहा है कि हमारा टोल हम जितनी मर्जी उतना टैक्स वसूल सकते हैं।
टोल प्लाजा के संचालन को लेकर विगत कई दिनों से ओवरलोड वाहनों से मनमाना टैक्स वसूली के आरोप सामने आ रहे थे जिसपर दैनिक मीडिया ऑडीटर की टीम ने मामले की सत्यता को परखने की कोशिश की तो निकल कर सामने आया कि यहां तो ओवरलोड वाहनों से बिना कांटा कराए ही टैक्स की खुद के द्वारा तय की राशि वसूल की जा रही है जबकि शासन स्तर पर प्रत्येक वाहनों की अलग अलग टैक्स वसूली राशि तय की गई जिसे ओवरलोड का कांटा कराने के बाद ही लिया जाना चाहिए परन्तु नियमों के विपरीत टोल प्लाजा संचालक के द्वारा वाहनों के वजन को मापे बगैर ही खुद के द्वारा फिक्स की राशि की वसूली की जाती है।
बताया जा रहा है कि शासन ने प्रत्येक वाहनों के वजन करा कर उसके लिए राशि का निर्धारण किया है वाहनों को यही टैक्स की राशि जमा करनी है मगर टोल प्लाजा संचालन कर रही केसीसी कंपनी ने उसके लिए अलग ही कीमत तय की है और प्रत्येक वाहनों को छोड़ने के लिए वाहनों 750 रुपए की राशि टोल कंपनी प्रति चक्कर वसूल रही है।
दरअसल रीवा से सीधी की ओर जाने वाली सड़क में खड्डा गांव के समीप केसीसी कंपनी के द्वारा टोल संचालित किया जा रहा है जो विगत 6 महीनों से सरकार के लिए कर वसूली का काम कर रही है परंतु कर वसूली का काम करते हुए कंपनी ने नियम के विपरीत वाहनों से मनमाना टैक्स वसूलना शुरू कर दिया जिससे अब लोग लगातार परेशान हो रहे हैं।
केसीसी कंपनी के द्वारा संचालित किए जा रहे खड्डा टोल प्लाजा से ओवर लोड होकर निकल रही हाईवा वाहनों से अपने तरीके की टैक्स वसूली की जाती है जिसकी बिलिंग रशीद पर्ची भी कंपनी के द्वारा हाईवा वाहनों को नहीं दिया जाता तथा बिना कांटा कराए ही टोल संचालक के द्वारा ओवर लोड वाहनों से वसूली की जाती है।
जानकारी के मुताबिक टोल प्लाजा संचालन में विगत 6 महीनों से जिस तरह कंपनी के द्वारा मनमाना टैक्स वसूला जा रहा है उससे अब तक करीब 5 करोड़ रुपए के कर की चोरी हो चुकी जो राशि सीधे तौर पर कंपनी के जेब में गई है तथा ओवरलोड वाहनों से वसूल की जा रही राशि की कोई जानकारी सरकार तक नहीं पहुंच पाई है।