मध्य प्रदेशरीवा

मेहरा की मेहरबानी से धड़ल्ले से चल रहा KCC का डामर प्लांट!NOC पर उठे गंभीर सवाल, ग्रामीणों का उग्र प्रदर्शन, चक्का जाम की चेतावनी

रीवा। क्षेत्र में संचालित KCC कंपनी का डामर प्लांट इन दिनों प्रशासनिक संरक्षण नियमों की खुलेआम अनदेखी और प्रदूषण विभाग की संदिग्ध भूमिका को लेकर भारी विवादों में घिर गया है। आरोप है कि यह प्लांट मेहरा की कथित मेहरबानी से नियम-कानून को ताक पर रखकर आबादी क्षेत्र के समीप धड़ल्ले से संचालित किया जा रहा है। शिकायतों के बाद जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम कार्रवाई के लिए मौके पर पहुंची तो जो तस्वीर सामने आई उसने पूरे सिस्टम पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए।

ग्रामीणों के मुताबिक प्रदूषण विभाग के कर्मचारी मौके पर अपनी ही जारी की गई NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) को न तो दिखा सके और न ही उसका सत्यापन कर पाए। इस स्थिति ने विभाग और कंपनी के बीच मिलीभगत की आशंका को और गहरा कर दिया। सवाल यह है कि जिस NOC के आधार पर प्लांट चल रहा है वह वास्तव में अस्तित्व में है भी या नहीं?

ग्रामीणों का आरोप है कि KCC का डामर प्लांट घनी आबादी और उपजाऊ कृषि भूमि के बेहद नजदीक स्थापित किया गया है जबकि पर्यावरणीय नियमों के अनुसार ऐसे प्रदूषणकारी उद्योगों को बस्ती और खेतों से दूर होना चाहिए। प्लांट से निकलने वाला काला धुआं डामर की तीखी गंध और उड़ती धूल ने पूरे इलाके को प्रदूषण की चपेट में ले लिया है। किसानों का कहना है कि उनकी खड़ी फसलें प्रभावित हो रही हैं और जमीन की उर्वरता लगातार घटती जा रही है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि प्लांट शुरू होने के बाद से बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं में सांस की बीमारी, आंखों में जलन, सिर दर्द और एलर्जी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। इसके बावजूद संबंधित विभागों द्वारा अब तक कोई ठोस और प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। बार-बार शिकायतों के बावजूद जब प्रशासन मौन रहा तो ग्रामीणों का सब्र जवाब दे गया।

घटना वाले दिन सैकड़ों ग्रामीण KCC डामर प्लांट के बाहर एकत्र हो गए और जोरदार नारेबाजी करते हुए घंटों तक प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने प्रदूषण विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग केवल कागजी कार्रवाई और खानापूर्ति में लगा है। न तो प्लांट के वैध दस्तावेजों की सही जांच की जा रही है और न ही पर्यावरणीय मानकों का पालन कराया जा रहा है।

प्रदर्शन के दौरान माहौल उस समय और तनावपूर्ण हो गया जब हरिहरपुर पंचायत के सरपंच भी ग्रामीणों के समर्थन में खुलकर सामने आ गए। सरपंच ने दो टूक शब्दों में चेतावनी दी कि यदि पंचायत सीमा से डामर प्लांट को शीघ्र नहीं हटाया गया तो ग्रामीण चक्का जाम और उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि इसके परिणाम की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और प्रदूषण विभाग की होगी।

ग्रामीणों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए मौके पर पहुंचे KCC कंपनी के अधिकारियों ने स्थिति संभालने का प्रयास किया। कई घंटों तक चली बातचीत समझाइश और आश्वासनों के बाद ग्रामीणों ने अस्थायी रूप से प्रदर्शन समाप्त किया और प्लांट को फिलहाल बंद कराया गया। हालांकि ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि यह सिर्फ चेतावनी है अंतिम लड़ाई नहीं।

अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या प्रदूषण विभाग अपनी ही जारी की गई NOC को सार्वजनिक करेगा या फिर नियमों की धज्जियां उड़ाने वाली KCC कंपनी पर वास्तविक और सख्त कार्रवाई होगी। क्या मेहरा की कथित मेहरबानी की जांच होगी या मामला एक बार फिर फाइलों में दबा दिया जाएगा? क्षेत्र की जनता की निगाहें अब प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। यदि इस प्रकरण में लीपापोती की गई तो यह आंदोलन जिले से निकलकर बड़े जनांदोलन का रूप ले सकता है।

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