Karhal by-election: सैफई परिवार के दामाद अनुज यादव ने करहल उपचुनाव में BJP से भरा नामांकन
Karhal by-election: करहल विधानसभा के उपचुनाव में इस बार मुकाबला कड़ा होने जा रहा है। मुख्य वजह यह है कि सैफई परिवार के दामाद अनुज यादव भारतीय जनता पार्टी से मैदान में हैं और उनका मुकाबला उनके भतीजे तेज प्रताप यादव से होने जा रहा है, जो समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी हैं। शुक्रवार को अनुज यादव ने मैनपुरी कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपना नामांकन दाखिल किया। पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि सैफई परिवार से कुछ सदस्य उनके नामांकन में साथ आ सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अनुज यादव के साथ उनकी मां पूर्व विधायक उर्मिला यादव की मौजूदगी
नामांकन के दौरान अनुज यादव के साथ उनकी मां और पूर्व विधायक उर्मिला यादव भी मौजूद रहीं। इसके अलावा समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष दुर्विजय शाक्य और मंत्री अजीत पाल भी उनके साथ नामांकन प्रक्रिया में शामिल हुए।
नामांकन के बाद उर्मिला यादव ने कहा कि राजनीति में रिश्तों से ऊपर पार्टी होती है और राजनीति किसी की बपौती नहीं होती। समय के साथ सब कुछ बदलता रहता है। इस दौरान अनुज यादव ने कहा कि अगर वे करहल से विधायक बनते हैं, तो वे घिरोर विधानसभा को फिर से संगठित करेंगे और विकास की नई योजनाएं लाएंगे।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह का समर्थन
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि अनुज यादव सैफई परिवार के आदरणीय पक्ष से हैं और इस चुनाव में वह भारी मतों से जीत दर्ज करेंगे। मंत्री ने जनता से अपील की कि वे अनुज यादव को समर्थन दें ताकि वे क्षेत्र का विकास कर सकें और करहल को एक नई दिशा दे सकें।
मजबूत दावेदारी से बढ़ा सियासी पारा
सैफई परिवार का यह घरेलू मुकाबला न केवल परिवार में बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां एक ओर समाजवादी पार्टी से तेज प्रताप यादव अपनी विरासत को बचाने के लिए मैदान में हैं, वहीं दूसरी ओर अनुज यादव भाजपा से ताल ठोक रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच मुकाबला कांटे का माना जा रहा है और करहल की जनता के लिए यह एक ऐतिहासिक चुनाव होने वाला है।
चुनाव परिणाम का असर और भविष्य की दिशा
करहल विधानसभा उपचुनाव के नतीजे इस परिवार के राजनीतिक समीकरणों पर गहरा असर डाल सकते हैं। भाजपा और सपा के बीच इस सीट को लेकर तगड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। यह चुनाव केवल क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व ही नहीं बल्कि दोनों पार्टियों के जनाधार की भी परीक्षा होगा।
इस चुनाव के परिणाम से करहल के राजनीतिक परिदृश्य में भी बदलाव की संभावना है और यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे अपना समर्थन देती है।