छत्तीसगढ

Kanker News: पहली बार नक्सल क्षेत्र में पुलिस कैंप हटाने के खिलाफ सड़कों पर उतरे ग्रामीण, किया विरोध प्रदर्शन

Kanker News: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के जडेकरसे गांव में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां ग्रामीणों ने एकजुट होकर अपने गांव से पुलिस कैंप हटाने का विरोध किया है। ग्रामीणों का कहना है कि सुरक्षा बलों के कैंप स्थापित होने के बाद से उनके गांव में विकास की राह खुली है। सड़क, बिजली, पानी सहित उन्हें कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने लगा है।

नक्सलियों का फिर से खौफ लौटने का डर

गांव में कैंप स्थापित होने के बाद से नक्सली इस क्षेत्र से पीछे हट गए हैं। ग्रामीणों का मानना है कि अगर कैंप को हटा दिया गया तो नक्सलियों का फिर से आतंक बढ़ जाएगा और वे एक बार फिर से खौफ के साये में जीने पर मजबूर हो जाएंगे। इसी डर के चलते जडेकरसे गांव के लोग पिछले 24 घंटे से धरने पर बैठे हुए हैं और मांग कर रहे हैं कि पुलिस कैंप को कहीं और न ले जाया जाए।

नक्सल प्रभावित गांव में पहली बार कैंप न हटाने की मांग पर प्रदर्शन

बस्तर में अक्सर देखा गया है कि ग्रामीण पुलिस कैंप खोलने का विरोध करते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि नक्सल प्रभावित गांव के लोग पुलिस कैंप को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं और उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

जडेकरसे गांव के मामले का पूरा घटनाक्रम

यह मामला कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित जडेकरसे गांव का है। इस गांव में 2008 में नक्सली आतंक के कारण लोहतरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक CAF कैंप स्थापित किया गया था। लंबे समय तक सैनिकों की मौजूदगी और सर्च ऑपरेशन्स के कारण इस क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों में कमी आई है और गांव के लोग अब शांति और सुरक्षा में जी रहे हैं। नक्सल गतिविधियां यहां लगभग समाप्त हो चुकी हैं और लंबे समय से कोई नक्सली हरकत नहीं देखी गई है।

Kanker News: पहली बार नक्सल क्षेत्र में पुलिस कैंप हटाने के खिलाफ सड़कों पर उतरे ग्रामीण, किया विरोध प्रदर्शन

विकास और सुरक्षा के लिए पुलिस कैंप की मांग

जडेकरसे गांव के ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस कैंप की वजह से गांव में सड़कें बन चुकी हैं, स्कूल खुल गया है जहां बच्चों को शिक्षा मिल रही है। युवाओं को पुलिस में भर्ती होने की तैयारी का मौका मिल रहा है। इसके अलावा, गांव में बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। 2008 से पहले गांव के लोग नक्सलियों के आतंक में जीते थे, लेकिन अब कैंप खुलने के बाद गांव में जो समृद्धि आई है, वह फिर से उनसे न छीनी जाए।

लोकसभा सांसद से भी की पुलिस कैंप बनाए रखने की मांग

ग्रामीणों ने कांकेर के लोकसभा सांसद भोजराज नाग से भी आग्रह किया है कि कैंप को न हटाया जाए। गांव की महिलाएं भी इसी मांग के साथ खड़ी हैं, उनका कहना है कि जब से कैंप स्थापित हुआ है, लोग शांति से जी रहे हैं और बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि कैंप हटा दिया गया तो नक्सली वापस आएंगे और फिर से डर का माहौल बन जाएगा।

कैंप स्थापित होने से ग्रामीणों में सुरक्षा का अहसास

ग्रामीणों का कहना है कि 2008 से इस क्षेत्र में हर 10 किलोमीटर पर एक पुलिस कैंप स्थापित किया गया है, जिससे वे सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कैंप के सैनिक सुबह-शाम पूरे गांव में तलाशी लेते हैं, जिससे ग्रामीणों को सुरक्षा का अहसास होता है। अगर कैंप हटा दिया गया, तो नक्सलियों का प्रभाव फिर से बढ़ सकता है। इसी कारण ग्रामीण पिछले 24 घंटे से मुख्य सड़क पर धरना दे रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि पुलिस कैंप को बनाए रखा जाए।

पुलिस कैंप बनाए रखने के लिए सहमति बनाने का प्रयास

भानुप्रतापपुर के एएसपी संदीप पटेल ने बताया कि सरकार की प्रक्रिया के अनुसार कैंप को इस गांव से बस्तर के अन्य नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थानांतरित किया जा रहा है। हालांकि, ग्रामीणों की मांग को ध्यान में रखते हुए कैंप को यथास्थान बनाए रखने पर सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सोमवार को इस मामले पर बैठक के बाद कैंप को बनाए रखने पर निर्णय लिया जाएगा।

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