उत्तर प्रदेश

हरदोई पुलिस ने मानव तस्करी का शिकार 3 साल के बच्चे को आंध्र प्रदेश से बचाया

हरदोई जिले की पुलिस ने मानव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए एक तीन साल के मासूम बच्चे को आंध्र प्रदेश से बरामद किया है। यह बच्चा फरवरी में सीतापुर से अगवा किया गया था और गिरोह ने इसे पांच लाख रुपये में बेच दिया था। पुलिस ने इस मामले में दो महिलाओं को गिरफ्तार किया है, जबकि गिरोह के सरगना की तलाश जारी है। पूछताछ में गिरफ्तार महिलाओं ने खुलासा किया कि बच्चे की तस्वीर दिखाकर उसकी कीमत तय की गई थी।

सीतापुर से अगवा कर आंध्र प्रदेश में बेचा गया मासूम

पुलिस के मुताबिक, तीन साल का मासूम ऋतिक 20 फरवरी को हरदोई के अतरौली थाना क्षेत्र के गौरी कला गांव से लापता हो गया था। वह अपनी मां के साथ अपने मामा शशिकांत के यहां तिलक समारोह में आया था। रात करीब 8 बजे जब परिवार वाले कार्यक्रम में व्यस्त थे, तभी बच्चा गायब हो गया।

पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एएसपी पूर्वी नृपेंद्र कुमार के नेतृत्व में कई टीमें गठित कीं। जांच के दौरान पता चला कि ऋतिक को मानव तस्करी गिरोह ने अगवा कर लिया था। गिरोह ने बच्चे को आंध्र प्रदेश में ले जाकर पांच लाख रुपये में बेच दिया।

तेलंगाना से की गई ऋतिक की बरामदगी, दो महिलाएं गिरफ्तार

पुलिस ने गिरोह की तलाश में अलग-अलग राज्यों में दबिश दी। तेलंगाना में शादी समारोह के दौरान पुलिस ने ऋतिक को बरामद किया। इसके बाद पुलिस ने हरदोई के अतरौली थाना क्षेत्र में छापेमारी कर दो महिलाओं को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार महिलाओं की पहचान पठान मुमताज उर्फ हसीना और बिकोल बिजली के रूप में हुई है।

हरदोई पुलिस ने मानव तस्करी का शिकार 3 साल के बच्चे को आंध्र प्रदेश से बचाया

  • पठान मुमताज उर्फ हसीना: आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा जिले के अजीत सिंह नगर न्यू राजेश्वरी पेटा थाना क्षेत्र की निवासी है।

  • बिकोल बिजली: आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी जिले के वाइडेही गड़ाला क्षेत्र की रहने वाली है।

पुलिस ने इन महिलाओं को मासूम ऋतिक के अपहरण और बिक्री के आरोप में गिरफ्तार किया है।

गिरोह का तरीका: बच्चों को बहला-फुसलाकर करते थे अगवा

पुलिस की पूछताछ में महिलाओं ने खुलासा किया कि यह गिरोह छोटे बच्चों को भीड़-भाड़ वाले इलाकों, शादी समारोहों और मेलों से अगवा करता था। बच्चों को चॉकलेट या मोबाइल दिखाने का लालच देकर अपने साथ ले जाते थे। इसके बाद बच्चों की तस्वीर खींचकर गिरोह की मुख्य आरोपी सोनिया उर्फ सुनीता को भेजी जाती थी। सुनीता ही बच्चों की कीमत तय करती थी, जो उनकी उम्र और शक्ल-सूरत के आधार पर होती थी।

पुलिस का मानना है कि यह एक अंतरराज्यीय गिरोह है, जिसमें कई महिलाएं और पुरुष शामिल हैं। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।

SP का बयान: बच्चों को बेचने का चल रहा था गंदा खेल

हरदोई के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नीरज कुमार जादौन ने बताया कि गिरफ्तार महिलाओं ने कबूल किया है कि वे बच्चों को पांच लाख रुपये में बेचती थीं। यह गिरोह अंतरराज्यीय स्तर पर सक्रिय है, जो मासूम बच्चों का अपहरण कर उन्हें बेचने का घिनौना काम करता है।

पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार महिलाओं से गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में पूछताछ की जा रही है और जल्द ही गिरोह के मुख्य सरगना को भी गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस ने कहा कि मानव तस्करी जैसे अपराधों को लेकर आगे भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हरदोई पुलिस की तत्परता से एक मासूम बच्चे को बचा लिया गया, जो मानव तस्करी का शिकार हो गया था। यह घटना न केवल बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि गिरोह किस तरह से मासूमों को बहला-फुसलाकर बेच देता है। पुलिस की सक्रियता और जांच से अब इस गिरोह का भंडाफोड़ हो रहा है और आने वाले समय में अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी भी संभव है।

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