गौचर भूमि का पता नही सड़कों पर दुर्घटना के शिकार हो रहे है गौवंश
Gauchar land is not known; cows are becoming victims of accidents on the roads.
दैनिक मीडिया ऑडीटर चाकघाट। बरसात प्रारम्भ होते ही खेतों में बैलों के गले की घंटियों की जगह अब टैक्टरों की भड़भड़ाहट सुनाई देने लगी है। मेहनतकश बैलों के लिए अब न खेत में जगह रह गई और न ही किसान के घर में। बैलों के झुण्ड समय और इंसान की बेरूखी के कारण सड़कों पर भूखे प्यासे विचरण के लिए विवश हो गए हैं। सड़क पर आए दिन वाहन दुर्घटना से मवेशी मर रहे हैं। मवेशी की सींग पर चमकते स्टीकर की योजना भी इस अंचल में अब तक नही पहुँची है।
इस घरती पर गौवंश जो कभी खुशहाली और समृद्धि के प्रतीक माने जाते थे, अब वही पशुधन अवारा मवेशी के नाम पर समस्या बनते जा रहे हैं। उनके लिए न गाँवों में जगह बची है और न ही शहर में। पशु चूंकि पशु ही होते है। बेजुबान होने के कारण उन्हें जगह जगह लाठी डन्डे और प्रताड़ना ही मिलती है। यदि पशु बोलना जानते तो वे भी गौमाता के नाम पर राजनीति करने वालों से यही प्रश्न पूछते कि आदि काल से पशुओं के नाम पर गौचर/चारागाह एवं खरकौनी के लिए छोड़ी गई भूमि कहाँ गई ? पशुधन को पानी पीने के लिए गाँव-गाँव में खुदे भारी भरकम क्षेत्रफल वाले तालाब कहाँ गए? चारागाह और खरकौनी की हजारों एकड़ भूमि हड़पने वालों पर क्या कभी कार्यवाही होगी। गुम हो रहे तालाबों को क्या कभी फिर से खोजा जाएगा? या आवारा पशुओं के नाम पर उन्हें कत्लखाने की ओर ही भेजा जाएगा?
हमारे प्रतिनिघि एवं सामाजिक कार्यकर्ता रामलखन गुप्त ने एक सर्वे में यह पाया कि हर राजस्व गाँव में मवेशियों के लिए चारागाह अथवा खरकौनी की सार्वजनिक भूमि प्रर्याप्त मात्रा में छोड़ी गई थी जहाँ गाँव के मवेशी चारा चरते थे तथा विश्राम करते थे। यह भूमि आजादी के पहले तक विद्यमान थी। गाँव गाँव में तालाब होते थे कोई भी राजस्व ग्राम बिना तालाब के नही था। त्योंथर तहसील के ग्राम पंचायत देउपा में पाँच तालाबों के होने की जानकारी ग्रामीणों से मिली है, जिसमें रामबाँध, बनिया तालाब, नया तालाब, बड़ा तालाब,एवं छोटा तालाब प्रमुख है। सोहागी में दो बड़े तालाब रानी तालाब एवं दीवान तालाब के नाम से जाने जाते है। ग्राम सहिजवार में विन्ध्य पर्वत के नीचे अकेला 26 एकड़ का चौरहा तालाब बना है। सहिजवार से बौद्ध स्तूप मार्ग पर जो कि कभी महाजनपदीय काल में प्रमुख राजमार्ग था। इस रास्ते में पहाड़ के उपर मड़फा मठ के समीप एक विशाल तालाब मवेशी और राहगीरों के उपयोग हेतु बना है, इस तालाब का पानी कभी भी नही सूखता। ग्राम अमिलकोनी में 14 तालाब होने के प्रमाण मिलते हैं। त्योंथर में भी आधे दजैन से अधिक तालाब होने के प्रमाण हैं। पानी और हरियाली मवेशी के आहार और स्वछन्द विचरण के लिए आवश्यक है जिसका विशेष ध्यान रखा जाता रहा है।
किन्तु वर्तमान में सरकारी भूमि के नाम पर चारागाह की भूमि पर अवैध अतिक्रमण किया जा रहा है। चाकघाट से सटे ग्राम पंचायत सतपुरा के सिंगरवार में 11एकड़ शासकीय गौशाला चरनोई की भूमि होने की जानकारी मिली है जिसपर अवैध कब्जा है । क्यों करके राजस्व न्यायालय सर्कल चौक घाट द्वारा 24 लोगों के विरुद्ध अतिक्रमित भूमि को हटाने के मामले में कार्यवाही प्रारंभ की गई थी किंतु यह आक्रमण संबंधी फाइल अब त्योंथर न्यायालय से लापता हो चुकी है जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हो गए हैं। मध्य प्रदेश शासन एक अभियान चलाकर तालाबों एवं गोचर /खरकौनी/ चारागाह की भूमि को अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा दे तो वेसहारा पशुओं की समस्या से निजात मिल सकता है।
पता चला है कि मध्य प्रदेश के माननीय उच्च न्यायालय ने पूर्व में आदेशित किया था कि प्रदेश के सारे तालाब, पोखर एवं पोखरी को अतिक्रमण मुक्त कराकर माननीय न्यायालय को सूचित किया जाय,परन्तु माननीय न्यायालय के इस महत्वपूर्ण आदेश की प्रशासन द्वारा अवहेलना की गई है। जिसके कारण आज तक सम्पूर्ण तालाब,पोखर एवं पोखरी को अतिक्रमण मुक्त नही कराया गया है।
पता चला है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय डॉक्टर मोहन यादव जी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रीवा जिले की गौ अभ्यारण क्षेत्र में रहकर गौ वंश समस्याओं से अवगत होंगे। यदि माननीय मुख्यमंत्री जी चरनोई की भूमि एवं तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर दें तो गौवंश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी ।