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क्या गर्मियों में छाले बन जाते हैं खतरनाक? जानिए कौन सी गलतियां बढ़ा रही हैं दर्द

गर्मियों का मौसम आते ही लोगों को मुँह में छाले होने की शिकायत ज़्यादा होने लगती है। खाने में परेशानी होती है। बोलने में दिक्कत होती है और कई बार तो पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि इसका सीधा संबंध हमारे पेट से है। जब पाचन क्रिया गड़बड़ होती है या पेट में ज़्यादा एसिड बनता है तो मुँह में छाले हो जाते हैं। यह छाले गाल के अंदरूनी हिस्से में, जीभ पर या होंठों के पास तक हो सकते हैं।

आयुर्वेद क्या कहता है मुँह के छालों के बारे में

गाज़ियाबाद के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. अमित मुद्गल का कहना है कि जब पेट में बहुत ज़्यादा गर्मी हो जाती है या अपच की समस्या होती है तो उसका असर सीधे मुँह में छालों के रूप में दिखता है। ये छाले दर्दनाक होते हैं और जीभ पर होने वाले छाले खाने और बोलने दोनों में भारी तकलीफ़ देते हैं। कई बार गले में भी छाले हो जाते हैं जिससे निगलना मुश्किल हो जाता है। इन सबके पीछे पेट की गर्मी, तनाव, विटामिन बी12 और आयरन की कमी, संक्रमण और खानपान की गड़बड़ी मुख्य कारण होते हैं।

क्या गर्मियों में छाले बन जाते हैं खतरनाक? जानिए कौन सी गलतियां बढ़ा रही हैं दर्द

 मुँह के छालों से राहत पाने के लिए फिटकरी के पानी से गरारे करना बहुत असरदार होता है। यह न सिर्फ छालों को जल्दी ठीक करता है बल्कि मुँह की सफाई भी करता है। इसके अलावा गोंद तीरा को भी बहुत कारगर माना गया है जो पेट की गर्मी को शांत करता है। त्रिफला चूर्ण, शहद और हल्दी का मिश्रण, तुलसी के पत्ते, इलायची, धनिया, मुलेठी, सौंफ और चीनी का शरबत भी छालों को ठीक करने में मदद करते हैं।

खानपान में लाएं ये बदलाव

मुँह के छालों से बचने के लिए केवल घरेलू उपाय ही नहीं बल्कि रोज़ाना के खानपान में भी बदलाव ज़रूरी है। ज्यादा मसालेदार और तली-भुनी चीजों से परहेज करें। खट्टे फल जैसे नींबू या संतरा सीमित मात्रा में लें। पानी भरपूर पिएं और दही का सेवन बढ़ाएं। तनाव से दूर रहना और नींद पूरी लेना भी छालों से बचने के लिए ज़रूरी है। पेट की गर्मी को कम करने वाले पेय जैसे बेल का शरबत, नारियल पानी और सौंफ का पानी भी बहुत लाभकारी हैं।

हालांकि ज़्यादातर मुँह के छाले घरेलू उपायों से ठीक हो जाते हैं लेकिन अगर छाले बार-बार हो रहे हैं या 7 से 10 दिन में भी ठीक नहीं हो रहे तो डॉक्टर से मिलना चाहिए। यह किसी अंदरूनी संक्रमण या गंभीर विटामिन की कमी का संकेत हो सकता है। अगर छालों के साथ बुखार या खून आना जैसी समस्या दिखे तो तुरंत मेडिकल सलाह लें।

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