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Digital Arrest.पत्रकारिता का डिजिटल अरेस्ट, रायपुर तहसील के सेक्शन इंचार्ज को डिजिटल बंधक बनाकर ऐंठे हजारों रुपए

जिले की खौफ खाती पत्रकारिता को कलंकित करने लगातार कुछ सेटिंगबाज यूट्यूबर फील्ड में काम कर रहे हैं जिनके द्वारा सट्टा, जुआ, कोरेक्स के कारोबार में हाईप्रोफाइल मैनेजमेंट बनाकर इस तरह के धंधों को संरक्षण दिया जाता है। वहीं कुछ यूट्यूबर गलत काम कर रहे सरकारी अधिकारियों से भी अपनी सांठगांठ करने में मशगूल रहते हैं। जिसके चलते इन दिनों पत्रकारिता का स्तर लगातार गिरता जा रहा है मगर अवैध कमाई करने की जद्दोजहद में जुटे यूट्यूबर बिना खौफ के ही अपनी सेटिंग में लगे रहते हैं। 

यूट्यूबरों की सेटिंगबाजी

यूट्यूबरों की सेटिंगबाजी का ताजा मामला सामने आया है सिविल लाइन थाना क्षेत्र स्थित कोर्ट परिसर से जहां एक चाय की दुकान पर खड़े होकर कुछ वसूलीबाज यूट्यूबर एक सरकारी सेवक को डिजिटली बंधक बनाकर हजारों रुपए ऐंठ लिए जिसका वीडियो भी पास में खड़े एक युवक ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया जिसमें पत्रकारिता का डिजिटल अरेस्ट करते हुए यूट्यूबरों ने उक्त सरकारी कर्मचारी से हजारों रुपए की सेटिंग बना ली। 

वीडियो वायरल न करने के एवज में ऐंठ रुपए

बताया जा रहा है कि रायपुर करचुलियान तहसील में पदस्थ सेक्शन इंचार्ज का रिश्वत की रकम लेते वीडियो होने की बात कहकर कुछ यूट्यूबरों ने उक्त कर्मचारी से वीडियो वायरल न करने के एवज में हजारों रुपए ठगे है तथा यूट्यूबरों का कर्मचारी से पैसे लेने का वीडियो पास में खड़े युवक के मोबाइल कैमरे में कैद हो गया। जिसके बाद मामले की तस्दीक एसडीएम रायपुर से की गई तो उन्होंने कर्मचारी की पहचान भी कर ली। 

अपना नाम भी गलत बताया

दरअसल यूट्यूबरों से डिजिटली अरेस्ट होने पर उन्हें पैसे देने के बाद जब सरकारी सेवक कैमरे में कैद हुआ तो उसने फिर खुद का बचाव करते हुए अपना नाम भी गलत बताया जिसके बाद उसकी पहचान के एसडीएम रायपुर से बात की गई तो उन्होंने उसकी सही पहचान की और बताया कि कर्मचारी नकल सेक्शन में काम करता है। 

डिजिटली बंधक बना तहसील का सेक्शन इंचार्ज

जानकारी के मुताबिक रायपुर तहसील के सेक्शन इंचार्ज का रिश्वत की रकम लेते किसी ने वीडियो बनाया था जिसके बाद वह वीडियो कथित यूट्यूबरों  के पास पहुंच गया जिसके बाद वीडियो वायरल न करने की खातिर यूट्यूबरों ने कर्मचारी को डिजिटली बंधक बनाकर उसके अंदर भय पैदा कर दिया तब जाकर कर्मचारी को अपना बचाव करने के लिए पत्रकारों को हजारों रुपए देने पड़े

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