IAS बनने की चाह में छोड़ दी आराम की नौकरी, गोरखपुर के शिवम ने रैंक सुधार कर हासिल किया सपना

संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी का बहुप्रतीक्षित परिणाम मंगलवार 22 अप्रैल को घोषित कर दिया गया। इस बार कुल 1009 अभ्यर्थियों का चयन विभिन्न श्रेणियों से हुआ है। इनमें 335 सामान्य वर्ग से, 109 ईडब्ल्यूएस से, 318 ओबीसी से, 160 अनुसूचित जाति और 87 अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार शामिल हैं। लेकिन जो बात सबसे खास रही वह ये कि टॉप 10 की सूची में दो नाम उत्तर प्रदेश से हैं। प्रयागराज के रहने वाले शक्ति दुबे ने पूरे देश में टॉप किया है जबकि कन्नौज के मयंक त्रिपाठी दसवें स्थान पर आए हैं। ये दोनों नाम अब यूपी के नौजवानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
शक्ति दुबे: प्रयागराज से दिल्ली तक का सफर
यूपीएससी टॉपर शक्ति दुबे प्रयागराज के रहने वाले हैं और उनकी शुरुआती पढ़ाई भी यहीं से हुई है। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से की और फिर पोस्टग्रेजुएशन काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू से किया। उन्होंने साल 2016 में बीएचयू में बायोकेमिस्ट्री विषय से पीजी में दाखिला लिया था। इसके बाद वे तैयारी के लिए दिल्ली शिफ्ट हो गए थे जहां उन्होंने पूरी लगन से मेहनत की और अब पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है। उनके परिवार और शहर में इस समय जश्न का माहौल है।
मयंक त्रिपाठी: कन्नौज का गौरव जो पहले से है अफसर
टॉप 10 में शामिल मयंक त्रिपाठी भी किसी से कम नहीं हैं। मयंक कन्नौज के निवासी हैं और उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज से पढ़ाई की है। दिलचस्प बात ये है कि मयंक पहले ही यूपीएससी 2023 में सफल हो चुके हैं और इस समय भारतीय राजस्व सेवा यानी इंडियन रेवेन्यू सर्विस में कार्यरत हैं। इससे पहले 2022 में भी उन्होंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करके डीएसपी के पद पर चयन पाया था। लेकिन मयंक ने हार नहीं मानी और एक बार फिर यूपीएससी परीक्षा दी और इस बार टॉप 10 में जगह बना ली।
गोरखपुर के एसडीएम शिवम सिंह बने IAS
इस साल की एक और प्रेरणादायक कहानी गोरखपुर से सामने आई है। गोरखपुर के चौरिचौरा और खजनी में एसडीएम के पद पर तैनात शिवम सिंह ने इस बार यूपीएससी में 73वीं रैंक प्राप्त की है। शिवम ने 2023 में भी यूपीएससी पास की थी लेकिन उन्हें अपनी मनपसंद सेवा नहीं मिल पाई थी। इसलिए उन्होंने फिर से परीक्षा दी और इस बार अपनी मंजिल पा ली। प्रशिक्षण के साथ-साथ उन्होंने तैयारी की और अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से यह साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।