पुलिस हिरासत में मौत, CM Yogi ने पीड़ित परिवार को 10 लाख की सहायता और बच्चों को मुफ्त शिक्षा का आश्वासन दिया
लखनऊ में दो दिन पहले एक व्यवसायी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की। सोमवार को मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार को तत्काल 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की और बच्चों की मुफ्त शिक्षा का वादा किया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि परिवार को अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ और सरकारी आवास भी प्रदान किया जाएगा।
घटना का पृष्ठभूमि
यह घटना तब सामने आई जब पुलिस ने मोहित पांडे को उनके चचेरे भाई के साथ पैसों के विवाद के चलते उनके घर से उठाया। मोहित के भाई शोभाराम, जो खुद भी पुलिस हिरासत में थे, ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उनके भाई को लॉकअप में यातनाएं दी गईं और उनकी पिटाई की गई। शोभाराम ने आरोप लगाया कि मोहित की तबीयत बिगड़ने के बावजूद उन्हें अस्पताल नहीं ले जाया गया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हुई।
मुख्यमंत्री की पहल
सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को गंभीरता से लिया और परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में, न्याय सुनिश्चित किया जाएगा और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने पीड़ित परिवार को आश्वस्त किया कि उन्हें सभी संभव सहायता प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना उनकी प्राथमिकता है, ताकि वे अपने जीवन में सफल हो सकें।
इस अवसर पर, विधायक योगेश शुक्ला और पार्षद शैलेन्द्र वर्मा भी परिवार के साथ मौजूद थे। उन्होंने परिवार को सांत्वना दी और मामले की गंभीरता को समझते हुए आश्वासन दिया कि सरकार उनके साथ है।
पुलिस की कार्रवाई
मोहित पांडे की मौत के बाद, उनकी मां की शिकायत पर कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसमें चिनहट पुलिस थाने के निरीक्षक और मोहित के चचेरे भाई आदेश का नाम शामिल है। पुलिस ने कहा कि जांच की जा रही है और सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले में स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने कहा है कि वे घटना की पूरी जांच करेंगे और यदि किसी ने कानून का उल्लंघन किया है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।
परिवार की प्रतिक्रिया
मोहित के परिवार ने सरकार से न्याय की मांग की है। शोभाराम ने कहा कि उनके भाई को निर्दोषता के चलते गिरफ्तार किया गया था और उन्हें पुलिस हिरासत में जानबूझकर यातनाएं दी गईं। परिवार ने कहा कि वे न्याय के लिए लड़ेंगे और कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाना चाहिए।
मोहित की मां ने भी सरकार से अनुरोध किया कि उन्हें उचित न्याय मिले और उनके बेटे के साथ जो कुछ हुआ, उसके लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिले।
सामाजिक मुद्दा
यह घटना न केवल मोहित के परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है। पुलिस हिरासत में मौतें एक गंभीर समस्या हैं, जो कई सवाल उठाती हैं। क्या पुलिस को कानून का पालन करने में सक्षम होना चाहिए? क्या नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण किया जा रहा है? ऐसे मुद्दे समाज में सुरक्षा और न्याय के सवाल उठाते हैं।
समाज में यह चर्चा हो रही है कि पुलिस को ऐसे मामलों में अधिक संवेदनशील होना चाहिए और नागरिकों के साथ उचित व्यवहार करना चाहिए। इस तरह की घटनाएं दिखाती हैं कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सुधार की आवश्यकता है।
न्याय के लिए संघर्ष
इस घटना के बाद, पीड़ित परिवार ने न्याय की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने स्थानीय मानवाधिकार संगठनों से सहायता मांगी है ताकि वे अपने बेटे के लिए न्याय प्राप्त कर सकें। परिवार का मानना है कि इस मामले में सिर्फ आर्थिक सहायता से काम नहीं चलेगा, बल्कि सच्चाई को सामने लाना आवश्यक है।
समाज के विभिन्न वर्गों ने भी इस मामले में आवाज उठाई है और सरकार से मांग की है कि इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएं।
मोहित पांडे की दुखद मौत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पुलिस हिरासत में होने वाले अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष जारी रहना चाहिए। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल सराहनीय है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि सभी जिम्मेदार लोगों को सजा मिले।
सरकार को चाहिए कि वह ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि भविष्य में किसी भी परिवार को इस तरह के संकट का सामना न करना पड़े। नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण करना और पुलिस को कानून का पालन करने के लिए प्रशिक्षित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि न्याय की लड़ाई कभी खत्म नहीं होती, और हमें हर संभव प्रयास करना चाहिए कि हमारे समाज में ऐसे अपराधों का सामना करने के लिए एक सशक्त तंत्र हो।
मोहित पांडे के परिवार के साथ हमारी संवेदनाएं हैं, और हम आशा करते हैं कि उन्हें जल्द ही न्याय मिले। उनके इस संघर्ष में हम सभी को साथ रहना चाहिए, ताकि समाज में न्याय और मानवाधिकारों की रक्षा की जा सके।