महाकुंभ निमंत्रण पर विवाद, अखिलेश यादव ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने महाकुंभ 2025 को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ा बयान दिया है। अखिलेश यादव ने कहा कि कुंभ मेले में आमंत्रण नहीं दिया जाता है, बल्कि लोग अपनी श्रद्धा से कुंभ में आते हैं। उन्होंने यह बयान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा महाकुंभ के लिए जारी किए गए आमंत्रण को लेकर दिया।
‘कुंभ में आमंत्रण नहीं, श्रद्धा से लोग आते हैं’
अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “कुंभ में आमंत्रण नहीं दिया जाता है। लोग अपनी श्रद्धा से कुंभ में आते हैं। हमें धर्म के अनुसार यह सिखाया गया है कि ऐसे आयोजनों में लोग अपनी इच्छाओं से शामिल होते हैं। क्या करोड़ों लोग जो आएंगे, उन्हें आमंत्रित किया गया है? यह सरकार अलग है।” अखिलेश ने यह भी कहा कि अगर कुंभ का आयोजन सही तरीके से होता है, तो समाजवादी पार्टी मदद करने को तैयार है।
कुंभ की वास्तविकता पर सवाल उठाए
अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने कुंभ के आयोजन की वास्तविकता की जांच की है। उन्होंने पीडीए पत्रकार द्वारा कुंभ की वास्तविकता की जांच करवाने की बात भी की, जिसमें उन्होंने बताया कि कई चीजें सामने आई हैं जो इस आयोजन की तैयारियों पर सवाल खड़ा करती हैं।
VHP पर भी कड़ी टिप्पणी
जब अखिलेश यादव से वीएचपी के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “यह जो खुदाई हर रोज हो रही है, क्या यह मुख्यमंत्री आवास में नहीं होनी चाहिए? वहां भी एक शिव मंदिर है, मुख्यमंत्री के घर में भी खुदाई होनी चाहिए, शिवलिंग वहां मिलेगा। वहीं, राज्यपाल भवन में भी अवैध निर्माण हो रहा है।” इस बयान से उन्होंने राज्य सरकार और उसके कई कार्यों पर सवाल उठाए।
जर्मनी में बैलट से मतदान पर अखिलेश यादव का बयान
अखिलेश यादव ने जर्मनी में बैलट से चुनाव होने की बात करते हुए कहा, “मैं खुश हूं कि आज हम लखनऊ में मिल रहे हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि इस समय की पीढ़ी को सबसे ज्यादा शिक्षा की आवश्यकता है। वे अपने परिवारों को खुश रखना चाहते हैं।”
इसके बाद अखिलेश यादव ने जर्मनी के चुनाव प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा, “जर्मनी जैसे देश में वोटिंग बैलट से होती है और हर स्तर पर चुनाव बैलट से होते हैं। हमें भी अपने वोटिंग प्रक्रिया में विश्वास फिर से बनाना होगा। हम अपने संस्थानों में विश्वास खो रहे हैं, हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में जनता बदलाव लाने के लिए काम करेगी।”
ईवीएम पर अखिलेश का बयान
अखिलेश यादव ने आगे कहा, “वहां के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आप वोटिंग के लिए ईवीएम की मांग करते हैं तो यह असंवैधानिक होगा। जब जर्मनी जैसा देश इसे मान रहा है, तो यह एक लंबी बहस का मुद्दा है। हम हार सकते हैं, लेकिन हमें यह मानना चाहिए कि हम हार गए हैं। हम हारने के बाद विश्वास नहीं कर पाते और जीतने वाला भी जीत के बाद विश्वास नहीं करता।”
महाकुंभ की तैयारियों में अंतिम चरण
आपको बता दें कि महाकुंभ 2025 का आयोजन अगले साल 13 जनवरी से प्रयागराज में होने जा रहा है और इसकी तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ की तैयारियों के लिए युद्ध स्तर पर काम करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद महाकुंभ की तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ की निगरानी में कुंभ की तैयारियां
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के आयोजन की तैयारियों को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इस महापर्व के आयोजन को सफल बनाने के लिए कोई कसर न छोड़ें। सीएम योगी ने खुद इस आयोजन के हर पहलू की समीक्षा की है और प्रशासन को उच्च स्तर पर काम करने के लिए प्रेरित किया है।
महाकुंभ 2025 के महत्व पर चर्चा
महाकुंभ एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसमें हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। यह आयोजन विश्वभर में भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को प्रदर्शित करने का एक बड़ा अवसर बनता है। महाकुंभ के आयोजन से जुड़ी तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं और इसके सफल संचालन के लिए सरकार और प्रशासन की अहम भूमिका होती है।
समाजवादी पार्टी की भूमिका
अखिलेश यादव ने यह स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी कुंभ के आयोजन के संदर्भ में यदि कोई सही काम हो रहा है, तो वे उसकी मदद करने के लिए तैयार हैं। उनका उद्देश्य राजनीति से ऊपर उठकर धार्मिक आयोजनों को सही तरीके से संचालित करना है। हालांकि, उन्होंने इस दौरान सरकार के कई फैसलों और कामकाजी तरीकों पर सवाल उठाए हैं।
अखिलेश यादव ने महाकुंभ को लेकर जो बयान दिया है, वह सरकार की ओर से किए जा रहे आयोजनों और धार्मिक कार्यक्रमों की तैयारी पर सवाल खड़ा करता है। उनका यह भी कहना है कि धार्मिक आयोजन लोगों के आस्था और श्रद्धा पर आधारित होते हैं, जिनमें किसी प्रकार का सरकारी प्रायोजन नहीं होना चाहिए। अब यह देखना होगा कि महाकुंभ की तैयारियों के बीच इन बयानों का क्या असर पड़ेगा और सरकार इन पर क्या प्रतिक्रिया देती है।