मध्य प्रदेशरीवा

Rewa News:आरक्षण पर बोले राज्यसभा सांसद,नेताओं की जी हुजूरी करने वाले पिछड़ों को ही मिल रहा आरक्षण का लाभ

dainikmediaauditor Rewa.कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता राहुल गांधी के द्वारा उठाए गए जातिगत जनगणना के मामले ने लगातार सियासी तूल पकड़ा है जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने है वहीं अब इस मुद्दे पर रीवा से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल ने भी आप पक्ष रखा है जिसमें उन्होंने आरक्षण व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए और कहा कि गरीबी के आधार पर आरक्षण की सुविधा होनी चाहिए तथा यह तभी संभव है जब जातिगत जनगणना कराई जाए।

कांग्रेस सांसद राजमणि पटेल का कहना है कि आज के परिवेश में मात्र पिछड़ों को ही आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है मगर यह लाभ भी मात्र उन्हीं पिछड़े हुए व्यक्तियों तक पहुंच पाता है जो नेताओं की जेब में बैठे हैं अर्थात जो नेताओं की जी हुजूरी कर रहे हैं। इसके साथ ही सांसद ने कहा आरक्षण पूर्व में व्यवस्था को बनाने के लिए लागू किया गया था परंतु उसे भी 6 प्रतिशत 5 प्रतिशत और 27 प्रतिशत में बांट दिया गया जबकि आज भी गरीबी रेखा में आने वाले कई लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

आरक्षण पर बोले कांग्रेस सांसद राजमणि पटेल, नेताओं की जेब में रखे पिछड़ों को ही मिल रहा लाभ,जातिगत जनगणना से प्रत्येक गरीबों का होगा उत्थान

दरअसल केंद्र सरकार के द्वारा देश की जनसंख्या को मापने के लिए जनगणना कराई जा रही है परंतु कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी जातिगत जनगणना को लेकर लगातार सरकार के खिलाफ हमलावर है जिससे गरीबी रेखा के स्तर की सही पहचान हो सके और अंतिम पंक्ति पर खड़े इंसान तक आरक्षण का लाभ पहुंच सके मगर सरकार ने इस विषय पर राहुल गांधी को ही आड़े हाथों लेने का काम किया है जिसमें बीजेपी नेता राहुल गांधी को जाति के आधार पर राजनीति करने वाला बता रहे हैं। बावजूद इसके कांग्रेस पार्टी के नेतागण जातिगत जनगणना की वकालत में जुटे हुए हैं। जिसके चलते रीवा से राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल अब जातिगत जनगणना पर अपने विचार रखे हैं।

कांग्रेस सांसद राजमणि पटेल ने कहा कि सरकार तो वैसे भी जनगणना करा रही है अब जरूरी है जातिगत जनगणना कराना जिससे शैक्षणिक और सामाजिक स्तर पर सम्पन्न व्यक्ति को आर्थिक संपन्नता मिल सके। सांसद ने कहा कि अभी तक की आरक्षण व्यवस्था में पिछड़े हुए व्यक्तियों को महज आर्थिक संपन्नता ही मिल पाई है जबकि सामाजिक और शैक्षणिक संपन्नता के लिए लोगों को अब भी संघर्ष करना पड़ रहा है

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