छत्तीसगढ़: शिक्षक ने बच्चों को बेरहमी से पीटा, कहा- “सोचा अपने बच्चे हैं”
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के रघुनाथनगर स्थित आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में एक शिक्षक ने बच्चों को इतनी बुरी तरह से पीटा कि उनके शरीर के कई हिस्सों में सूजन आ गई। बच्चों की टांगों पर लकड़ी के डंडे के निशान बन गए, जिससे उन्हें चलने, बैठने और लेटने में भी तकलीफ हो रही है। इस घटना के बाद बच्चों को स्कूल जाने का डर सता रहा है। वहीं जब इस घटना की शिकायत की गई, तो शिक्षक ने कहा कि उसने बच्चों को अपने ही बच्चे समझकर पीटा।
शिक्षक ने बच्चों से सवाल पूछे, उत्तर न मिलने पर मारा
यह घटना बलरामपुर जिले के रघुनाथनगर स्थित आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल की है। शिक्षक ने बच्चों से कुछ सवालों के उत्तर याद करने के लिए कहा था। बाद में जब शिक्षक ने उन सवालों के उत्तर पूछे, तो बच्चे सही उत्तर नहीं दे पाए। इस पर गुस्साए शिक्षक ने बच्चों को लकड़ी के डंडे से पीटा। सातवीं कक्षा के बच्चों को इतनी बुरी तरह मारा गया कि उनकी टांगों पर डंडे के निशान बन गए। बच्चे इस पिटाई के बाद डर के कारण स्कूल जाने से भी डरने लगे हैं।
परिवार वालों ने की शिकायत
बच्चे जब घर लौटे तो उनके शरीर पर चोट के निशान देखकर उनके परिवार वालों को पूरी घटना का पता चला। बच्चों के शरीर पर घाव देखकर उनके माता-पिता ने स्कूल प्रिंसिपल और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से शिकायत की। बच्चों के परिवार के अलावा स्थानीय लोग भी इस घटना पर गुस्सा जाहिर करते हुए आरोपी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
आरोपी शिक्षक ने मांगी माफी
इस घटना के बाद आरोपी शिक्षक ने माफी मांगते हुए कहा कि वह बच्चों को अपने बच्चे समझकर पिटाई कर रहे थे। शिक्षक ने कहा कि लगभग 5-6 महीने पहले भी उसने बच्चों से कुछ सवाल पूछे थे, जिनके जवाब बच्चों के पास नहीं थे। इस पर गुस्से में आकर उसने बच्चों को पीटा। शिक्षक का कहना था कि इसमें कोई व्यक्तिगत मामला नहीं था। इस घटना के बाद आरोपी शिक्षक ने बच्चों के परिवार और शिक्षक संघ से भी माफी मांगी।
स्कूल प्रिंसिपल का बयान
स्कूल के प्रिंसिपल ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि वह ऐसे व्यवहार का समर्थन नहीं करते। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ पहले भी शिक्षकों को चेतावनी दी गई थी। प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि आरोपी शिक्षक को इस मामले में शो-कॉज नोटिस जारी किया गया है और स्कूल प्रशासन जल्द ही उचित कार्रवाई करेगा।
बच्चों का डर और समाज की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद बच्चों में गहरा डर बैठ गया है और वे स्कूल जाने से डर रहे हैं। समाज में भी इस घटना को लेकर काफी गुस्सा है। बच्चों के परिवार और समाज के लोगों ने इस घटना की कड़ी आलोचना की है और आरोपी शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
यह घटना शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी नकारात्मक मानसिकता को उजागर करती है, जहां बच्चों के साथ हिंसा को सामान्य समझा जाता है। बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ एक सुरक्षित वातावरण भी चाहिए, और ऐसी घटनाओं से बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
बलरामपुर के इस स्कूल में हुई घटना ने यह सवाल उठाया है कि बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षक बच्चों को कैसे सिखाते हैं और उनका मानसिक स्वास्थ्य कैसे प्रभावित होता है। ऐसे मामलों में स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि वे शिक्षक के व्यवहार की सही तरीके से जांच करें और बच्चों के लिए एक सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करें।