छत्तीसगढ

छत्तीसगढ़: अमित शाह की यात्रा से पहले नक्सलियों का उत्पात, आसान शिकार बना रहे हैं

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 15 दिसंबर को छत्तीसगढ़ का दौरा करेंगे। इस यात्रा को देखते हुए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। गृह मंत्री के इस दौरे से पहले नक्सलियों ने बस्तर में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है और उत्पात मचाना शुरू कर दिया है।

दरअसल, तीन दिनों के भीतर शनिवार को नक्सलियों ने चौथी ग्रामीण महिला, सुकड़ा यालम, को मौत के घाट उतार दिया। इस साल सुरक्षा बलों से लगातार हारने के बाद नक्सली अब बड़ी लड़ाई लड़ने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में वे छोटी कार्रवाई टीमों का गठन कर ग्रामीणों को निशाना बनाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाह रहे हैं।

पुलिस का बयान

इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि नक्सलियों की एक छोटी कार्रवाई टीम के चार से पांच सदस्य शनिवार को मड्डीद थाना क्षेत्र के लोदर गांव पहुंचे। उन्होंने रामैया यालम और उनकी पत्नी सुकड़ा को अगवा किया और गांव से लगभग तीन किलोमीटर दूर ले गए। वहां रामैया को डंडों से पीटा गया और छोड़ दिया गया, जबकि सुकड़ा को गला घोंटकर मार डाला गया।

पुलिस को रात के समय इस घटना की जानकारी मिली। इसके बाद, पुलिस ने रविवार सुबह गांव पहुंचकर शव को बरामद किया। बस्तर में यह नक्सलियों द्वारा तीन दिनों में तीसरी हत्या थी। गुरुवार रात को नक्सलियों ने भैरमगढ़ के बिरियाभूमि के पूर्व सरपंच और बीजेपी नेता सुखु फारसा और नैमेड के कादेर के पूर्व सरपंच सुखराम अवलम को मार डाला था। इसके अगले दिन शुक्रवार को, नक्सलियों ने तिम्मापुर की आंगनवाड़ी सहायिका लक्ष्मी पदम को उनके बेटे के सामने गला घोंटकर मौत के घाट उतार दिया।

गृह मंत्री का छत्तीसगढ़ दौरा

गृह मंत्री अमित शाह 15 दिसंबर को छत्तीसगढ़ का दौरा करेंगे। इस दौरे से पहले नक्सलियों ने अपनी गतिविधियों में वृद्धि कर दी है और बस्तर में उत्पात मचाना शुरू कर दिया है। गृह मंत्री के दौरे से पहले नक्सलियों ने इस तरह की घटनाओं को अंजाम देकर सुरक्षा बलों के खिलाफ अपनी उपस्थिति को मजबूत करने की कोशिश की है।

छत्तीसगढ़: अमित शाह की यात्रा से पहले नक्सलियों का उत्पात, आसान शिकार बना रहे हैं

सुरक्षा बलों द्वारा नक्सलियों को भारी नुकसान

आंकड़ों के अनुसार, इस साल नक्सलियों ने अब तक 63 ग्रामीणों की हत्या की है। वहीं, सुरक्षा बलों के साथ विभिन्न मुठभेड़ों में 17 जवान शहीद हुए हैं। इस वर्ष 226 नक्सलियों को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ों में मार गिराया, जिससे नक्सलियों को बड़ा नुकसान हुआ है।

इस कार्रवाई के बाद, बस्तर पुलिस ने दावा किया है कि सुरक्षा बलों ने 97 मुठभेड़ों में 207 नक्सलियों के शव बरामद किए हैं, जिनमें 8 करोड़ 84 लाख रुपये का इनाम घोषित किए गए नक्सली भी शामिल हैं। इनमें से 5 दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) के सदस्य भी शामिल हैं, जिन पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

नक्सलियों का अस्तित्व बचाने की कोशिश

अब, सुरक्षा बलों ने बस्तर के नक्सलियों के सबसे मजबूत गढ़ में कदम रखा है और पिछले सप्ताह झिरपल्ली-1 और झिरपल्ली-2 में नए कैंप स्थापित किए हैं। इसके बाद से नक्सली लगातार इन कैंपों पर हमला कर रहे हैं। नक्सलियों ने रविवार सुबह भी इन कैंपों पर हमला किया। यह इलाका दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) और तेलंगाना राज्य कमेटी के बड़े नक्सलियों का ठिकाना है।

यहां नक्सलियों का मजबूत गढ़ है, जिसमें जगर्गुंडा क्षेत्रीय कमेटी, पामेड क्षेत्रीय कमेटी और दक्षिण बस्तर सब जोनल ब्यूरो का प्रमुख स्थान है। नक्सली इस क्षेत्र को किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते, क्योंकि यह इलाका उनके बड़े नेताओं जैसे विकास, सुजाता और हिड़मा-देवा का ठिकाना है।

नक्सलवाद का अंत निकट है

छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने बस्तर में गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा की तैयारी के लिए पहुंचकर बस्तर के ग्रामीणों की हत्याओं पर कहा कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम समय में है। गृह मंत्री अमित शाह ने 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने का मूलमंत्र दिया था और राज्य सरकार उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम कर रही है।

मुख्यमंत्री विश्वनाथ देव साई की सरकार नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और सुरक्षा बलों को मजबूत कर दिया है। बस्तर में सुरक्षा बलों की स्थिति मजबूत हो गई है, और नक्सलियों को अब अपनी स्थिति को बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।

गृह मंत्री ने नक्सलियों से अपील की है कि वे हथियार डालकर मुख्यधारा में वापस लौटें और देश एवं राज्य के विकास में योगदान दें। इस तरह की घटनाएं नक्सलवाद के अंत की ओर इशारा करती हैं और उम्मीद की जा रही है कि छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद जल्द ही समाप्त हो जाएगा।

कुल मिलाकर, छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ी हैं, खासकर गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से पहले। यह नक्सलियों की desperation का प्रतीक है, क्योंकि वे अब अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। हालांकि, सुरक्षा बलों की मुस्तैदी और राज्य सरकार की मजबूत नीति से नक्सलियों की स्थिति कमजोर हो गई है। अब यह समय आ गया है कि नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल होकर देश की विकास प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए।

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