Budhni by-election: कांग्रेस जीतने पर ‘एक ईंट भी नहीं लगेगी’ बयान पर गरमाई राजनीति
मध्य प्रदेश के बुदनी में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ जोरों पर हैं। इस बीच, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय के बयान को लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। उन्होंने एक सार्वजनिक बैठक में कहा कि अगर कांग्रेस का उम्मीदवार उपचुनाव जीतता है, “तो किसी भी गांव में एक ईंट भी नहीं लगेगी।” उनके इस कथित बयान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने इसकी कड़ी निंदा की।
कार्तिकेय का विवादास्पद बयान
बुधनी विधानसभा सीट के लिए 13 नवंबर को उपचुनाव होने वाले हैं। यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा विदिशा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई थी। बीते सप्ताह बहरुंडा कस्बे में एक सभा को संबोधित करते हुए, कार्तिकेय सिंह चौहान ने कहा, “हमारी प्रतिष्ठा को क्यों खराब करें? क्या हमें काम करवाने के लिए अपने मुख्यमंत्री के पास नहीं जाना चाहिए? क्या हमें अपने माननीय कृषि मंत्री से काम करवाने के लिए संपर्क नहीं करना चाहिए?”
उन्होंने यह भी कहा, “सरपंच जी, बताइए आप कैसे काम करेंगे? जवाब दें। अगर नतीजे गलत आए, तो हम नेताओं से काम करवाने के लिए कैसे मिलेंगे? कौन-सी सड़क बनवाएंगे? अगर गलती से कांग्रेस जीत गई, तो हम कैसे काम करवाएंगे?” इस प्रकार के बयान से न केवल राजनीतिक गरमा-गर्मी बढ़ी, बल्कि उन्होंने कांग्रेस के प्रति जनता के मन में आशंका भी पैदा की।
दिग्विजय सिंह की प्रतिक्रिया
दिग्विजय सिंह ने कार्तिकeya के वीडियो को साझा करते हुए सलाह दी कि उन्हें अपने पिता शिवराज सिंह चौहान से सीखना चाहिए और ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। उन्होंने कहा, “कार्तिकेय, इस समय ऐसे भाषण मत दो। अपने पिता से सीखो। एक लोकतंत्र में, सरकार और विपक्ष मिलकर भारत का निर्माण करते हैं। मैंने 10 साल मुख्यमंत्री रहते हुए कभी भी ऐसी भाषा का उपयोग नहीं किया। आपके पिता इस बात के गवाह हैं।”
दिग्विजय ने आगे कहा, “पंचायती राज अधिनियम में निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी विधायक की नहीं, बल्कि सरपंच की होती है। और आप न तो सरपंच हैं और न ही विधायक। आप मेरे पोते जैसे हैं। यह मेरी राय है, आप इसे उचित या अनुचित समझ सकते हैं।”
कार्तिकेय का तीखा जवाब
हालांकि, कार्तिकेय ने पूर्व मुख्यमंत्री के इस सलाह पर कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वह दिग्विजय सिंह का सम्मान करते हैं, जो कि एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं और मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कार्तिकेय ने कहा, “मुझे गर्व है कि वे मेरी और मेरे टिप्पणियों पर ध्यान देते हैं। जितनी भी उनकी और कांग्रेस नेताओं की टिप्पणियाँ हैं, वे केवल डर पैदा करती हैं। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि बुदनी के लोग उनके 10 वर्षों के शासन से डरे हुए हैं, जब उन्होंने राज्य को बर्बादी के कगार पर छोड़ दिया था। लोग गड्ढे-filled सड़कों और बिजली कटौती से डरते हैं।”
राजनीतिक परिदृश्य और चुनावी रणनीतियाँ
इस बयान के बाद बुदनी उपचुनाव की राजनीतिक हवा और भी गरम हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियाँ चुनावी रणनीतियों पर काम कर रही हैं। कार्तिकेय के बयान ने न केवल जनता के बीच चर्चाएँ शुरू की हैं, बल्कि दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति को भी तेज कर दिया है।
उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व सांसद रामकांत भार्गव को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस की ओर से रामकुमार पटेल मैदान में हैं। यह चुनाव न केवल स्थानीय मुद्दों के आधार पर बल्कि दोनों दलों की राष्ट्रीय नीतियों के आधार पर भी लड़ा जाएगा।
बुदनी की राजनीति का इतिहास
बुदनी विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र शिवराज सिंह चौहान का गृहनगर है और उन्होंने यहाँ से कई बार जीत हासिल की है। इस बार के उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए दोनों पार्टियों ने अपने-अपने स्तर पर पूरी ताकत लगा दी है।
बुदनी के मतदाता इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों के पिछले कार्यकालों का मूल्यांकन करेंगे। इसलिए, हर पार्टी को अपने पिछले कार्यों का हिसाब देना होगा।
बुदनी उपचुनाव ने एक बार फिर से राजनीति में नए सवाल खड़े किए हैं। दोनों पार्टियों के बीच की तकरार, बयानबाजी और चुनावी रणनीतियाँ यह दर्शाती हैं कि चुनावी मौसम में किसी भी पार्टी को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
यह देखना दिलचस्प होगा कि 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के नतीजे क्या होते हैं। क्या कार्तिकेय का बयान बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित होगा या फिर दिग्विजय सिंह की सलाह कांग्रेस के लिए वरदान बनेगी? चुनावी परिणामों के बाद ही स्पष्ट होगा कि बुदनी की जनता ने किस दिशा में अपना मत दिया है।