ब्लैक बॉक्स खोलेगा मौत की उड़ान का रहस्य, हर आवाज और तकनीक अब होगी जांच के घेरे में

अहमदाबाद में हुए भयानक प्लेन हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह हादसा उस समय हुआ जब प्लेन ने रनवे से उड़ान भरी ही थी कि कुछ ही सेकंड में वह अचानक नीचे गिर पड़ा। तेज धमाके के साथ आग का भयानक गोला आसमान में उठ गया। इस दुर्घटना में 200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। हादसे के बाद चारों ओर मातम छा गया है। अभी तक इस दुर्घटना की असली वजह सामने नहीं आई है लेकिन जांच एजेंसियां लगातार जांच में जुटी हुई हैं।
प्लेन क्रैश के पीछे की वजह जानने के लिए जांच एजेंसियां ब्लैक बॉक्स की तलाश कर रही हैं। हर विमान में एक ब्लैक बॉक्स होता है जो हादसे के बाद असली सच्चाई को उजागर करता है। ब्लैक बॉक्स में दो खास उपकरण होते हैं जो किसी भी दुर्घटना में जलने या पानी में बहने के बावजूद सुरक्षित रहते हैं। यही कारण है कि जांचकर्ता दिन-रात ब्लैक बॉक्स ढूंढने में लगे हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लैक बॉक्स मिलने और उसके डाटा को डिकोड करने में कई हफ्ते या महीनों का समय लग सकता है।
क्या है ब्लैक बॉक्स और कैसे करता है काम
ब्लैक बॉक्स दो हिस्सों में बंटा होता है – फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)। FDR विमान की गति, ऊंचाई, इंजन की स्थिति और कंट्रोल सिस्टम जैसी तकनीकी जानकारियां रिकॉर्ड करता है। वहीं CVR पायलटों की बातचीत, रेडियो संदेश और कॉकपिट की अन्य आवाजें जैसे मैकेनिकल नॉइज़ को रिकॉर्ड करता है। इन दोनों डिवाइसेज़ की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि हादसे से ठीक पहले विमान में क्या हो रहा था और पायलटों ने आखिरी समय में क्या फैसला लिया।
कैसे होता है ब्लैक बॉक्स का विश्लेषण
जैसे ही ब्लैक बॉक्स मिल जाएगा, उसे जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा। इस जांच का जिम्मा ब्यूरो ऑफ एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट आर्काइव (BAAA) के पास होगा। अगर ब्लैक बॉक्स किसी हिस्से से डैमेज हुआ होगा तो उसे पहले रिपेयर किया जाएगा। फिर उसके अंदर का डाटा निकाला जाएगा जिसमें फ्लाइट की पूरी जानकारी होगी। इसे 3D कंप्यूटर तकनीक से डिकोड किया जाएगा ताकि पता लगाया जा सके कि इस भयावह हादसे के पीछे क्या तकनीकी या मानवीय चूक रही। यह पूरी प्रक्रिया बहुत जटिल और समय लेने वाली होती है।