Ayodhya Case: अयोध्या मामले में मोईद खान की मुश्किलें बढ़ी, DNA मैच न होने के बावजूद पीड़िता का बयान पड़ेगा भारी
Ayodhya Case: अयोध्या में एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सामाजवादी पार्टी के नेता मोईद खान की समस्याएँ कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही में प्राप्त DNA रिपोर्ट में मोईद खान का सैंपल पीड़िता के साथ नहीं मिला है, जबकि उसके नौकर रaju खान का सैंपल मेल खाता है। इस स्थिति के बावजूद, पीड़िता के बयान के कारण मोईद की मुसीबतें कम होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं।
पीड़िता का बयान
इस मामले में, नाबालिग पीड़िता ने जो बयान दिया है, उसमें उसने मोईद खान और उसके नौकर पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कि मोईद ने उसका अश्लील वीडियो बनाया, जिसके चलते उसे ब्लैकमेल किया गया। कानूनी जानकारों का मानना है कि POCSO एक्ट के तहत पीड़िता का बयान बहुत महत्वपूर्ण है और उसके द्वारा दिए गए बयान की अदालत में अहमियत है।
मोईद खान के लिए खड़ी बाधाएँ
हालाँकि DNA परीक्षण में मोईद का सैंपल नहीं मिला है, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह बात उसके खिलाफ लगे आरोपों को खत्म नहीं करती। यदि पीड़िता अपने बयान पर अदालत में कायम रहती है, तो मोईद खान भी इस मामले में आरोपी बने रहेंगे। इसका मुख्य कारण यह है कि DNA मैच न होने से यह सिद्ध नहीं होता कि मोईद आरोपी नहीं है। उसके खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया गया है, और पीड़िता का बयान ही उसे आरोपी साबित करने के लिए पर्याप्त हो सकता है।
मामले की जटिलताएँ
पीड़िता ने अपने बयान में यह भी आरोप लगाया है कि मोईद खान ने उसके साथ दुष्कर्म किया और इसके बाद रaju ने भी उसके साथ दुष्कर्म किया। इस स्थिति में, रaju के DNA का मेल होना मामले को और मजबूत बनाता है। फिर भी, यदि मोईद खान यह साबित कर पाने में सफल होते हैं कि वह घटना के समय वहां मौजूद नहीं थे, तो उन्हें कुछ राहत मिल सकती है।
राजनीतिक संदर्भ
अयोध्या दुष्कर्म मामला हाल के दिनों में काफी चर्चा में रहा है। जैसे ही इस मामले में सामाजवादी पार्टी के नेता का नाम सामने आया, राजनीति भी गरमा गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में कई बार SP पर निशाना साधा है। वहीं, SP अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी DNA परीक्षण की मांग की है। आरोपित मोईद खान, SP के सांसद अवधेश प्रसाद के करीबी माने जाते हैं, जिससे मामला और जटिल हो गया है।
न्याय प्रक्रिया का महत्व
इस मामले में न्याय प्रक्रिया का महत्वपूर्ण स्थान है। यद्यपि एक आरोपित की स्थिति को उसके DNA परीक्षण के आधार पर कमजोर किया जा सकता है, लेकिन अगर पीड़िता का बयान ठोस है, तो यह मामले को और गंभीर बना सकता है। कानूनी प्रणाली के तहत, हर आरोपी को अपने बचाव का मौका मिलता है, लेकिन अगर आरोप गंभीर हैं, तो न्याय के दायरे में सभी पक्षों को उचित ढंग से सुना जाएगा।