Axiom-4 Mission: तकनीकी खराबी के चलते Axiom-4 लॉन्चिंग फिर स्थगित, शुभांशु का इंतजार बढ़ा

अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए रवाना होने वाला Axiom-4 मिशन एक बार फिर टल गया है। यह चौथी बार है जब इस मिशन की लॉन्चिंग को टाल दिया गया है। इस मिशन में शामिल भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को अब कुछ और दिन इंतजार करना होगा। SpaceX कंपनी ने जानकारी दी है कि रॉकेट के एक हिस्से में लिक्विड ऑक्सीजन (LOx) का रिसाव पाया गया है। यह रिसाव रॉकेट की जांच के दौरान सामने आया। अब तकनीकी टीम इस समस्या को ठीक करने में जुटी है। जब तक यह दिक्कत पूरी तरह से दूर नहीं होती और लॉन्चिंग की अनुमति नहीं मिलती तब तक कोई नई तारीख घोषित नहीं की जाएगी।
भारतीय अंतरिक्ष प्रेमियों के लिए यह मिशन बेहद खास है क्योंकि शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) जाने वाले पहले भारतीय बनने वाले हैं। वे अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरने वाले थे। उनके साथ तीन अन्य विदेशी अंतरिक्ष यात्री भी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से 14 दिन की यात्रा पर निकलते। यह टीम पहले 9 जून को रवाना होने वाली थी लेकिन खराब मौसम के कारण मिशन को दो दिन के लिए टाल दिया गया था। अब 11 जून को भी टेक्निकल कारणों से इसे आगे बढ़ा दिया गया है। शुभांशु भारत के दूसरे ऐसे व्यक्ति होंगे जो अंतरिक्ष में जाएंगे। इससे पहले 1984 में कैप्टन राकेश शर्मा ने सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
Standing down from tomorrow’s Falcon 9 launch of Ax-4 to the @Space_Station to allow additional time for SpaceX teams to repair the LOx leak identified during post static fire booster inspections. Once complete – and pending Range availability – we will share a new launch date pic.twitter.com/FwRc8k2Bc0
— SpaceX (@SpaceX) June 11, 2025
विज्ञान और रिसर्च की दुनिया में नई खोज
अब यह जानना जरूरी है कि आखिर Axiom-4 मिशन का मकसद क्या है। दरअसल यह मिशन वैज्ञानिक शोधों से जुड़ा है जिसमें अंतरिक्ष में कई अहम प्रयोग किए जाएंगे। नासा की रिपोर्ट के अनुसार यह मिशन विज्ञान, जनजागरूकता और व्यावसायिक गतिविधियों पर केंद्रित रहेगा। इस बार मिशन में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए 7 प्रयोगों को भी शामिल किया गया है। इन प्रयोगों में अंतरिक्ष में पौधों की अंकुरण प्रक्रिया और उनकी वृद्धि को लेकर अध्ययन होगा। यह समझने की कोशिश की जाएगी कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में पौधे कैसे बढ़ते हैं और उनमें कौन-कौन सी विशेषताएं विकसित होती हैं।
मांसपेशियों और पानी के बैक्टीरिया पर होगा खास रिसर्च
Axiom-4 मिशन में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तावित प्रयोगों में एक रिसर्च खासतौर पर मांसपेशियों के कमजोर होने यानी मसल एट्रॉफी के कारणों को पहचानने पर आधारित है। यह समझना बेहद जरूरी है कि शून्य गुरुत्वाकर्षण वाले माहौल में इंसानी शरीर की मांसपेशियों पर क्या असर होता है। एक और दिलचस्प प्रयोग पानी में मौजूद बैक्टीरिया को लेकर होगा। यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि अंतरिक्ष में पानी की गुणवत्ता पर कैसे असर होता है और बैक्टीरिया वहां कैसे व्यवहार करते हैं। ये सारे शोध भविष्य में लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाले यात्रियों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं।