उत्तर प्रदेश

गोरखपुर के संत से सत्ता के शिखर तक कैसे पहुंचे अजय बिष्ट? जानिए योगी बनने की रहस्यमयी कहानी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 53 साल के हो गए हैं। उनका जन्म 5 जून 1972 को पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में हुआ था। उस समय यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश का हिस्सा था लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद यह गांव उसी राज्य में चला गया। योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है। एक साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने न सिर्फ संन्यास लिया बल्कि राजनीति में भी गहरी छाप छोड़ी। आज वे देश के सबसे बड़े राज्य के दो बार मुख्यमंत्री बनने वाले नेता बन चुके हैं।

शिक्षा से साधु बनने तक का सफर

अजय सिंह बिष्ट ने शुरुआती पढ़ाई टिहरी जिले के गजा गांव के एक स्कूल से की। 1987 में उन्होंने दसवीं पास की और फिर ऋषिकेश के भारत मंदिर इंटर कॉलेज से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। 1990 में पढ़ाई के दौरान वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए। उन्होंने 1992 में गणित से बीएससी की डिग्री ली और 1993 में गुरु गोरखनाथ पर रिसर्च के लिए गोरखपुर पहुंचे। यहीं पर उनकी जिंदगी ने मोड़ लिया और वे आध्यात्म की ओर बढ़े।

गोरखपुर के संत से सत्ता के शिखर तक कैसे पहुंचे अजय बिष्ट? जानिए योगी बनने की रहस्यमयी कहानी

कैसे बने अजय सिंह से योगी आदित्यनाथ

गोरखनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ ने अजय सिंह को अपना शिष्य बना लिया। 1994 में अजय सिंह ने सांसारिक जीवन को त्याग कर संन्यास ले लिया और उनका नाम योगी आदित्यनाथ रख दिया गया। महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मठ की धार्मिक जिम्मेदारियां संभाल लीं। यह मठ पहले से ही राजनीति से जुड़ा रहा है। महंत दिग्विजयनाथ और अवैद्यनाथ भी राजनीति में सक्रिय रहे थे। इसलिए योगी आदित्यनाथ का राजनीति में आना स्वाभाविक था।

राजनीतिक सफर और मुख्यमंत्री बनने की राह

1998 में भारतीय जनता पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर से लोकसभा का टिकट दिया और वे महज 26 साल की उम्र में सांसद बन गए। इसके बाद उन्होंने 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव भी लगातार जीत लिए। 2002 में उन्होंने ‘हिंदू युवा वाहिनी’ नामक संगठन की स्थापना की और उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ने लगी। 2015 के बाद वे भाजपा के स्टार प्रचारकों में शामिल हो गए और 2017 के विधानसभा चुनाव में जमकर प्रचार किया। जब बीजेपी को भारी बहुमत मिला तो पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। तब वे विधायक नहीं थे इसलिए उन्होंने एमपी पद से इस्तीफा देकर विधान परिषद की सदस्यता ली और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 2022 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और गोरखपुर शहरी सीट से बड़ी जीत दर्ज कर दोबारा मुख्यमंत्री बने। अपने कार्यकाल में वे माफिया राज खत्म करने और अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवाने के लिए ‘बुलडोजर बाबा’ के नाम से भी मशहूर हुए।

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