26 चीतों के बाद अब 8 और की तैयारी, बोट्सवाना से आएंगे जंगल के नए राजा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार को गांधी सागर अभयारण्य में दो चीतों को छोड़कर “चीता प्रोजेक्ट” को एक नया मुकाम देने जा रहे हैं। इससे गांधी सागर राज्य का दूसरा ऐसा स्थान बन जाएगा जहां चीतों का पुनर्वास किया जा रहा है। इससे पहले श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क में यह योजना सफलतापूर्वक चल रही है।
अफ्रीका से लाए जा रहे हैं चीते, कुनो में 26 हो चुके हैं
मध्यप्रदेश में चीतों की संख्या बढ़ाने के लिए अफ्रीकी देशों से चीते लाकर यहाँ बसाए जा रहे हैं। फिलहाल कुनो पार्क में कुल 26 चीते हैं और मई 2025 तक 8 और चीतों को बोत्सवाना से लाने की योजना है। राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच प्रस्तावित अंतरराज्यीय चीता संरक्षण कॉम्प्लेक्स इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है।
गांधी सागर की जैव विविधता इसे बनाती है खास
1984 में अधिसूचित गांधी सागर अभयारण्य केवल वन्यजीवों का ही नहीं बल्कि जैव विविधता और पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी बेहद खास है। यहां सलई, तेंदू और पलाश जैसे पेड़ और तेंदुआ, ऊदबिलाव और चिंकारा जैसे जानवर पाए जाते हैं। साथ ही यहां का चतुर्भुजनाथ मंदिर और वन चित्रकला स्थल भी आकर्षण का केंद्र हैं।
112 करोड़ खर्च, अब विदेशी पर्यटक भी होंगे आकर्षित
चीता पुनर्वास पर अब तक कुल 112 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं जिनमें से 67 प्रतिशत केवल मध्यप्रदेश में लगाए गए हैं। यह प्रोजेक्ट न सिर्फ वन्यजीव प्रेमियों को आकर्षित करेगा बल्कि देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए भी नया आकर्षण बनेगा। 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से 8 चीते लाकर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी और फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 13 और चीते लाए गए थे। अब गांधी सागर में इस प्रयास को आगे बढ़ाया जा रहा है।