भोपाल में प्रशासन का ‘बुलडोजर’ होगा गरजता, मोती नगर बस्ती के 384 मकान और 110 दुकानें हटाई जाएंगी

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बड़ी बुलडोजर कार्रवाई की तैयारी जोरों पर है। 7 फरवरी, शुक्रवार को मोहन यादव के बुलडोजर का तात्पर्य है कि भोपाल के सुभाष नगर क्षेत्र में रेलवे की गैरकानूनी ज़मीन पर बनी मोती नगर बस्ती के 384 मकानों और 110 दुकानों को हटाया जाएगा। इस कार्रवाई का उद्देश्य भोपाल के सुभाष नगर ROB की तीसरी लेग और चौथी रेलवे लाइन के निर्माण के लिए आवश्यक स्थान प्राप्त करना है।
मोती नगर बस्ती में हटाने की प्रक्रिया की शुरुआत
भोपाल में सुभाष नगर ROB के तीसरे लेग और चौथी रेलवे लाइन के निर्माण के लिए मोती नगर बस्ती से अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई शुरू की जा रही है। 384 मकान और 110 दुकानें इस कार्रवाई के तहत हटाई जाएंगी। प्रशासन और पुलिस द्वारा पहले ही इस कार्रवाई की चेतावनी दी जा चुकी है।
महत्वपूर्ण कारणों से बस्ती को हटाना आवश्यक है, जिनमें प्रमुख कारण रेलवे लाइन का विस्तार और सुभाष नगर ROB का निर्माण है। इस प्रक्रिया के तहत व्यापारी और निवासी भी प्रभावित होंगे, क्योंकि उनकी दुकानें और घर इस क्षेत्र में स्थित हैं।
शुक्रवार को बुलडोजर चलेगा, प्रशासन की तैयारी पूरी
7 फरवरी, शुक्रवार को भोपाल नगर निगम, पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम मोती नगर बस्ती में कार्यवाही शुरू करेगी। इस दिन बुलडोजर के द्वारा 384 मकानों और 110 दुकानों को गिराया जाएगा।
गुरुवार को प्रशासन ने पहले ही लोगों को समझा दिया था कि वे अपनी दुकानें और घर स्वयं खाली कर दें, ताकि कोई अव्यवस्था न हो। इसके बाद कई दुकानदार अपनी सामान हटाते हुए देखे गए। हालांकि, पिछले दो दिनों से पुलिस बल की अनुपस्थिति के कारण बुलडोजर की कार्रवाई नहीं हो पाई थी।
पुलिस प्रशासन द्वारा बैरिकेडिंग और तैयारियां
गुरुवार शाम को पुलिस प्रशासन ने सुभाष नगर विश्राम घाट से लेकर मोती नगर बस्ती तक बैरिकेडिंग की थी। प्रशासन की यह कोशिश थी कि किसी प्रकार की अवरोध न हो और कार्रवाई को शांति से अंजाम दिया जा सके।
इसके साथ ही, जिला प्रशासन, नगर निगम और रेलवे ने पहले ही 4 फरवरी तक बस्ती को खाली करने का नोटिस जारी किया था। इस नोटिस का पालन न करने पर अब मकानों और दुकानों को बलपूर्वक हटाया जाएगा।
बस्ती के निवासियों में डर और विरोध
प्रशासन की कार्रवाई से मोती नगर बस्ती के निवासी डरे हुए हैं। उनका कहना है कि अगर उनकी घरों और दुकानों को हटाया जाता है, तो वे बेवास हो जाएंगे। कुछ निवासियों ने कालोनी को खाली करने का समय बढ़ाने की मांग की है।
सोमवार को बस्ती के निवासी अपने बच्चों के साथ कलक्टर के पास गए और समय बढ़ाने की अपील की। उनका कहना है कि मौजूदा समय में स्कूल की परीक्षा चल रही है, और इस परिस्थिति में उनके बच्चों का शिक्षा का नुकसान हो सकता है।
बस्ती निवासियों की मांग – समय बढ़ाया जाए
मोती नगर बस्ती के लोग अब प्रशासन से यह अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें अधिक समय दिया जाए, ताकि वे अपने घर और दुकानें खाली कर सकें। उनके अनुसार, परीक्षाओं के समय बच्चों की पढ़ाई में बिगाड़ हो सकता है, जिससे वे भी सामाजिक और शैक्षिक दृष्टिकोण से संकट का सामना करेंगे।
बस्ती के निवासियों ने प्रशासन से समय बढ़ाने की मांग की है ताकि वे विकल्पों की तलाश कर सकें और बेघर होने से बच सकें।
प्रशासन का सख्त रवैया और कार्रवाई की गंभीरता
हालांकि, प्रशासन का सख्त रवैया साफ दिखाई दे रहा है। जिला पंचायत और नगर निगम ने पहले ही नोटिस जारी कर दिया था, और अब तक कोई कार्रवाई नहीं करने के कारण लोगों ने विरोध किया है। प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई अत्यंत आवश्यक है, और इसे किसी भी हालत में टाला नहीं जा सकता।
पुलिस और प्रशासन ने इस मामले में पूरी तैयारी की है। वे चाहते हैं कि लोगों द्वारा दी गई चेतावनियों का पालन किया जाए, ताकि कार्रवाई शांति से संपन्न हो सके।
बस्ती में रहने वाले लोगों के भविष्य का संकट
इस पूरे मामले में, मोती नगर बस्ती के निवासियों का भविष्य संकट में है। इस इलाके में रहने वाले अधिकांश लोग दीन-दुनिया से अनजान हैं और उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत नहीं है। उनके पास न तो आवास के लिए जगह है और न ही रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था।
निवासियों का कहना है कि वे अपने घरों को छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें नया घर देने का वादा किया जाए। इसके साथ ही, उन्हें यह भी सुनिश्चित किया जाए कि वे कहीं और पुनः बस सकते हैं।
समाजवादी विचारधारा और प्रभावित वर्ग
इस मामले में समाजवादी विचारधारा से जुड़े कुछ समूहों ने भी समर्थन व्यक्त किया है। उनका मानना है कि गरीबों की बस्ती को बेदखल करना सरकार के लिए सामाजिक उत्तरदायित्व को नकारना है।
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि यदि सरकार ने इन लोगों को घरों से बेदखल किया, तो वह सरकार की नाकामी को उजागर करेगा। इन बस्तियों के निवासी बेघर हो जाएंगे, और फिर सरकार को नए आवास की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।
भोपाल में मोती नगर बस्ती के मकानों और दुकानों की हटाई जाने वाली कार्रवाई पर अब प्रशासन और नागरिकों के बीच संगीन संकट पैदा हो गया है। एक तरफ प्रशासन का मानना है कि यह विकास कार्यों के लिए जरूरी है, तो दूसरी तरफ बस्ती के लोग सुनिश्चित आवास और समय की मांग कर रहे हैं।